आजादी का अमृत महोत्सव,
अपरमित खुशियों का उपहार,
असहिष्णुता के विरुद्ध,
सहिष्णुता का शंखनाद II
अविराम यात्रा का पचहत्तर वर्ष ,
अमर्त्य वीरों का महान पर्व,
प्रगति के पथ पर नित बढ़ते कदम,
पुनर्जागृत भारत की आस में जन -गण -मन II
हो रहा सशक्त भारत का उदय,
जागृत हो रही राष्ट्रीयता की भावना,
सांस्कृतिक चेतना का यह नव विहान
आत्मविश्वासी भारत की है नई पहचान II
इक्कीसवीं सदी है भारत का ,
ज्ञान विज्ञान में दक्ष भारतीय युवाओं का,
अथक गुणगान गा रहा है विश्व समुदाय,
भारतीय अस्मिता के उत्थान का, भारत के पुनर्निर्माण का II
करें संकल्प अतुल्य भारत बनाने का,
विश्व पटल पर मानवी संस्कृति फ़ैलाने का,
त्याग तपोमय जीवनशैली अपनाने का,
भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का II
-विवेक मणि त्रिपाठी