“जल” मानव अस्तित्व के अपरिहार्य कारकों में से एक है, इसीलिए मानव सदियों से नदियों के किनारे हीं वास करता आया है। मानव सभ्यता की उत्पति भी नदियों के किनारों से हीं होकर पुष्पित पल्लवित हुई है, जिसका प्रत्यक्ष उदहारण हमारी महान सिन्धु – सरस्वती घाटी सभ्यता है। जल तो वैसे ही बहुत महत्वपूर्ण है, परन्तु वर्षा का जल तो क्या मानव, क्या पशु –पक्षी, जीव-जंतु, और क्या पेड़-पौधे सबके लिए अमृत समान है I वर्षा का जल तो हम सब के लिए माता के प्रेम के सामान है, जो कुपुत्रों पर भी बरसती है I हम कुपुत्र दिन प्रतिदिन प्रकृति पर अनवरत कुठाराघात करते जा रहे हैं, परन्तु प्रकृति फिर भी कुमाता नहीं हुई। वर्षा की बूंदे पाकर पशु-पक्षी वैसे ही चहक उठते हैं जैसे छोटा बच्चा अपनी माँ को देख कर, पेड़ पौधें वैसे हीं लहरा उठते है जैसे प्रेमिका अपने प्रियतम को देखकर, चारों ओर हरियाली छा जाती है, मिटटी फिर से वैसी ही हरी भरी हो जाती है जैसे बहुत दिनों के उपरांत पति से मिलकर पत्नी।
वर्षा विश्व की लगभग हर साहित्य और साहित्य की हर विधा का प्रिय विषय रहा है, चीनी साहित्य भी इससे अछूता नहीं है, चीनी जनमानस वर्षा ऋतू रूपी आनंद के सागर में गोता लगाने से पीछे नहीं रहा है। वर्तमान समय में चीन में भी बारिश का आनंद लेने का मोह नहीं छोड़ते I बारिश का पूर्ण आंनद लेने के लिए चीनी लोग पुरे परिवार के साथ बाहर निकलते हैं , साफ सुथरी सड़कों पर बारिश के पानी में खूब भींगते हैं , बाहर के खाने का भी आनंद लेते हैं । प्राचीन चीन में वर्षा को “थियन श्वेई ” कहा जाता था जिसका अर्थ होता हैं “स्वर्ग का जल”, “आकाश का जल ”। चीन में बारिश को लेकर बहुत कुछ कहा गया है। कहानी, कविता, कहावत, मुहावरा सब में बारिश का वर्णन है, चीन में बारिश की उपमा दुखांत प्रेम के लिए ज्यादा प्रयोग किया गया है, चीनी भाषा में एक मुहावरा है “यु छि यून छोऊ (雨泣云愁)” जिसका अर्थ है “आंसू बारिश की तरह बरस रहे हैं और चिंताएं बादल की तरह घुमड़ रही हैं,” एक और मुहावरा है “मी यून पू यु (密云不雨) अर्थात सघन बादल छाये हुए हैं परन्तु बारिश का नामोनिशान नहीं है ” , अर्थात नीरस प्रेम सम्बन्ध, दो युगल सम्बन्ध में बने हुए हैं परन्तु उनके बीच प्रेम का सर्वथा अभाव है।
बारिश की उपमा देते हुए कहा गया है कि “ बारिश हो रही है क्योंकि बादल रो रहा है , फुल खिले हुए हैं क्योंकि हवाएं हँस रही हैं , बर्फबारी हो रही है क्योंकि सूरज सो चूका है, चन्द्रमा पूरा गोल है क्योंकि तारे मदहोश हैं, मैं तुम्हें पत्र लिख रहा हूँ क्योंकि मैं तुम्हे याद कर रहा हूँ।” यंहा वर्षा का प्रयोग दुखांत प्रेम की लिए ही हुआ है I वर्षा का प्रयोग सुखांत प्रेम के लिए भी हुआ है, कवि बारिश का आनंद लेते हुए कहता है कि “ सुनो ! बारिश हो रही है , वर्षा की बुँदे जब धरती पर पड़ती है तो “ठप ठप” की आवाज आती है, ऐसा लगता है जैसे कोई किसी को पिट रहा है। वर्षा की बुँदे जब पानी में पड़ती है तो “टप टप” की मधुर आवाज आती है, ऐसा लगता है कि कोई मधुर संगीत हो , पानी में कमल का फूल खिला हुआ है , वर्षा की बुँदे जब उस कमल पुष्प की पंखुड़ियों पर गिरती तो ऐसा लगता है जैसे जलपरी मनमुघ्ध होकर नृत्य कर रही हो । ”
वर्षा को जीवन का बहुमूल्य अंग मानते हुए कहा गया गया है कि “ जिस वर्ष आप वर्षा ऋतू के आनंद लेने से वंचित हो जाते है, उस समय आप प्रेम के पान करने से भी वंचित हो जाते है ”, इस प्रकार मानव जीवन में बारिश को प्रेम का प्रतीक बताते हुए कहा गया है कि बारिश में भींगना मतलब प्रेम में भींगना है, बारिश का आनंद लेने वंचित रहना प्रेम के आनंद लेने से वंचित रहना है , इस प्रकार चीन में भी बारिश को प्रेम का सागर बताया गया है जिसमे डुबकी लगाना प्रेम में डुबकी लगाना हीं है,और चीनी जन इस प्रेम के सागर में गोते लगाने का सुअवसर हाथ से जाने नहीं देते । अपनी प्रियतम की याद में प्रेमी कहता है कि “बारिश की प्रतीक्षा करना छाता का भाग्य है, और तुम्हारी प्रतीक्षा करना मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य।” बारिश के माध्यम से अधूरे प्रेम की व्यथा को बताते हुए लिखा गया है “खिड़की के बाहर बारिश रुक चुकी है, परन्तु आकाश का रंग अभी भी भूरा है, लगता है किसी का प्रेम अधुरा रह गया है।” एक प्रेमी बारिश के माध्यम से अपनी दिल की करुण व्यथा अपनी प्रेमिका तक पहुँचाना चाहता है ,“ देखो ! बारिश हो रही है; सुनो ! मेरा ह्रदय तुम्हारी याद में सिसक सिसक कर रो रहा है।” बारिश की बूंदों के बाद की छाई शांति प्रेमी मन को उदास कर देती है और उसे किसी की यादों में विचरने पर मजबूर कर देती है, ऐसे हीं एक उदास प्रेमी मन अपनी हृदय की वेदना को बताते हुए कहता है – “हर बार वर्षा की बूंदों की आवाज सुनकर दिल में शांति छा जाती है, जो गहरी उदासी का संकेत है।”
चीनी साहित्य में बारिश को शारीर तो शारीर आत्मा को भी तृप्त करने वाला बताया गया है, “ शांत बारिश, चारो तरफ मौन की उपस्थिति, ये अजीब बारिश लोगो को कितना ख़ुशी देता है। बिना रेनकोट पहने बारिश में बाहर निकलने पर बारिश हमारी आत्मा को वैसे हीं तृप्त कर देता है जैसे शहद और मदिरा करते हैं ’’, चीनी समाज में शहद और मदिरा को आनन्द का परम साधन माना गया है, यंहा बारिश की तुलना शहद और मदिरा से की गयी है, इस प्रकार सदियों से चीनी लोग बारिश का आनंद उठाने में आगे रहे हैं ।
बारिश को नया जीवन देने वाला बताया गया है, “ ये जादुई बारिश जो शांत है,स्पष्ट है, ऐसा लगता है की बारिश की पानी में सारी वस्तुएं धुल कर नयी हो गयी हैं, बारिश ने जग की सारी वस्तुओं को मानो एक नया रूप दे दिया है, सारी चीजें फिर से नई, ताज़ी और ज्यादा आकर्षक हो गयी है। मेरा ह्रदय भी बारिश की पानी से धुलकर पहले से ज्यादा साफ़ एवं स्वच्छ हो गया है, मैं पहले की तुलना में हंसमुख व्यक्ति बन गया हैं, दुनिया एक नवजात शिशु के समान लग रही है, ऐसा लगता है जैसे सबकुछ फिर से शुरू हुआ हो, पेड़ नए हो गये है, घासें नयी हो गयी है, पेड़ों में नए नए हरे पत्ते निकल आये हैं, मेरे विचार भी नए हो गए हैं, और मेरे मनोमस्तिष्क में एक सुखद एहसास हैं ।” बारिश के सुखद एहसास में चीनी जन भी भींगने के लिए हमेशा लालायित रहते हैं, बारिश का जल उनके लिए प्रेम की तरह पवित्र और अमृत है जिससे चीनी जन का तन मन सब तृप्त हो जाता है। चीन में बारिश को प्रेम की तरह हीं शाश्वत माना गया है जो मानव, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सब पर समान रूप से अपनी प्रेमधारा बरसाती है।
-डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी