पाँच जून मनाएँगे
पाँच जून मनाएँगे
पाँच जून आया है,
खुशियाँ मनाएँगे,
साथ-साथ हम और तुम
खुशियाँ मनाएँगे।
पाँच जून मनाएँगे….
वादा यह करना है,
नहीं डरेंगे हम कभी,
कदम-कदम पर हम सभी
आगे बढते जाएँगे
नहीं डरेंगे हम कभी,
आगे बढते जाएँगे।
पाँच जून मनाएँगे
लालारुख था वह जहाज़
चार जून जो आए थे,
हमारे पुरखें आए थे,
पाँच जून को उतरे थे,
श्रीराम नहीं,
सूरीनाम के गोद में।
पाँच जून मनाएँगे….
भेदभाव को दूर करो,
अपने हक की मांग करो।
जहाँ तुम्हारे पुरखों ने,
खून पसीना एक कर दी।
पाँच जून मनाएँगे….
***
-कारमेन सुयश्वी देवी जानकी
मई १९८०