प्रवासी देशों में हिंदी : स्थति और संभवनाएँ

कारमेन सुयश्वी देवी जानकी

सूरीनाम भी एक प्रवासी देश है और यहाँ हिंदी के अलावा हमारी मातृ भाषा सरनामी है और सब हिदुस्तानी इस भाषा के द्वारा हिंदी भाषा को अपनी ही भाषा की तरह प्रयोग में लाते हैं। सूरीनाम में हिंदी की स्तिथि अभी तक अच्छी तरह से बचा कर रखा गया है। यहाँ पर 151 वर्ष हो गए है 5 जून 2024 को कि जब पहला जहाज आया था भारत से। हमारे पूर्वजों ने अपने-अपने गाँव में जहाँ वे गिड़मिट काटने के लिए गए थे, तभी से हिंदी पढ़ाना शुरु कर दिया था। सूरीनाम 10 जिलों में बांटा गया है और यह एक बहुजातीय एवं बहुभाषीय देश है। पाँच जिलों में जैसे जिला निकेरी, जिला सारामाका, जिला वानिका, जिला पारामारिबो और जिला कॉमअवैनअ में ज्यादातर हिंदुस्तानी लोग रहते हैं। इन पाँचों जिलों में हमारे पूरखों ने हिंदी पढ़ाते थे अपने-अपने गाँवों में और अपने बच्चों को भी और आज तक इन गाँवों में हिंदी पाठशालाएँ हैं जहाँ हिंदी जोर-शोर से पढ़ाया जाता है।

हर एक जिले में रेडियो और टेलीविज़न द्वारा हिंदी में प्रोग्राम चलाया जाता है जैसे निकेरी में रासोनिक, सारामाका में रामाशा, वानिका में संगीतमाला और सरगम, पारामारिबो में त्रिशुल, सोनल और ऑर बी एन (RBN) ब्रॉदकास्टिंग नेटवर्क। हर एक जिले में जगह जगह पर मंदिर हैं, जहाँ पंडितगण हिंदी में कथा, पूजा इत्यादि करते हैं और हिंदी में प्रवचन भी करते हैं। गाँव के आस-पास के लोग वहाँ आते हैं और हिंदी में भजन, कीर्तन रामायण या गीता पाठ करते हैं। शादी भी रीति-रिवाज से होती है और कोई भी उत्सव होता है तो बैठक गाना , ऑरकेस्त्रा आदि, चट्नी गीत, चौताल, सोहर, बिरहा सब हिंदी में ही गाया जाता है। उन दिनों में लोग हिंदी पढ़ते और पढ़ाते थे सिर्फ़ हिंदी के लिए, लेकिन जब से 1960 में स्व० बाबू महातम सिहं यहाँ आए थे तब से परीक्षा ली जाती है। और अब 42 सालों से संस्थां सूरीनाम हिंदी परिषद हर साल जनवरी महीना में परीक्षा लेती है प्रथमा से कोविद स्तर तक। कोरोना से पहले हर एक साल 500-600 लोग परीक्षा में भाग लेते थे और खूशी की बात यह है कि 85-90% विद्यार्थी इन परिक्षाओं में उतीर्ण होते थे।

कोरोना के बाद कई हिंदी स्कूल बंद हो गए, लेकिन कुछ अध्यापकगण ऑन लाईन हिंदी पढ़ाने लगे। बस अब धीरे-धीरे परीक्षा की संख्या भी बढ़ने लगी है और कई स्कूलो में भी फ़िर से हिंदी शुरू हुई है। ऑन लाईन हिंदी पढ़ना और पढ़ाना इस नई पीढ़ी की देन है। और बहुत अच्छी से चल रही है हर एक स्तर पर। अब इस साल से हिंदी परिषद में रत्न की पढ़ाई भी शुरू हो गई है। बीते हुए महीना जनवरी में परीक्षा ली गई हर एक स्तर पर और 250-300 लोग इस में भाग लिए और 80% पास भी हुए। सू हि प जोर शोर से काम करती है हिंदी की क्षेत्र में और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़ी हुई है जैसे हिंदी परिषद वर्धा.. भारत से…..इत्यादि।

आशा है कि जल्द ही हमलोगों का सपना शायद पूरा हो जाएगा कि हिंदी यहाँ की विश्वविद्यालय पर भी पढ़ाया जाएगा। SHP में कई विभाग है जो हिंदी को और ऊँचाई तक ले जाने के लिए स्थापित किया गया है। जैसे विद्या निवास साहित्य संस्था सूरीनाम और इस मकान पर जितने सहित्यकार हैं सूरीनाम में अपनी-अपनी कविताएँ, कहानियाँ और कोई भी लेख या गीत प्रस्तुत कर सकते हैं। हर दो या तीन महीने पर अध्यापक गण और उनके छात्र द्वारा कवि गोष्ठी की जाती है। त्रिनिदाद और हॉलण्ड के लोंगो द्वारा भी इस पर कविताएँ इत्यादि प्रस्तुत की जाती है। इसी तरह नई पीढ़ी अपनी लिखी हूई कविताएँ, कहानियाँ इत्यादि सहज से ऑन लाईन प्रस्तुत कर सकते हैं।

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