अहंकार की माया 

 (दार्शनिक सन्दर्भ)

मैंने सुना है
नश्वर शरीर बना है पंचमहाभूतों से
सभी हैं शाश्वत और सात्त्विक
जो हैं मानव सृष्टि के आधारभूत तत्त्व,
आत्मा भी है ईश्वर का एक अंश
अखंड, अनश्वर, पुनर्जात, पावन, सूक्ष्म स्वरुप l
फिर स्वभाव में निन्दित अहंकार उपजा कैसे
सद्गुणों के मिश्रण से दूषित दुर्गुण जन्मा कैसे?

मैंने पूछा पंचमहाभूतों से, ऐसा कैसे हो पाया?
क्या स्वजन्मा, परजीवी है अहंकार का पुतला
या इसके पीछे है अज्ञात शक्ति का उद्भव होना?
तर्क-वितर्क के चंगुल में हो गई ज्ञान परीक्षा
इसी बीच मच गई लड़ाई, महाभूतों ने गदा उठाई
अपनी-अपनी शक्ति की अनुपम कथा सुनाई l

सबसे पहले हवा बोली ‘मैं हूँ जीवन दायिनी
मच जाए हाहाकार यदि रूक जाए मेरी गतिविधि
गुस्सा होने पर आँधी बन कर हो जाती हूँ सर्वनाशिनी
मेरी पूजा पहले होगी, मानव जाति है अनुजीवी l’

अब पानी की बारी आई, उसने अपनी कथा सुनाई
‘सृष्टि के उद्गम में पानी है उत्तम अंश
पानी बिना न जीवन कोई, मानव हो या प्राणी इतर
जीवन-हीन पृथ्वी होगी, पंचमहाभूत होंगे बेकार l’

बोल उठा आकाश अनन्त जिसमें बसते हैं तारें
‘आकाश में दिनकर चमके, पृथ्वी उर्जा पाए
तमस भगाए, बारिश लाए, हरियाली फैलाए
वसुधा पर जीवित रहने का रास्ता सुगम बनाए
सृष्टि है मेरी संगिनी, मानव है उसकी परिणति l’

धरती बोली ‘मैं हूँ माता असंख्य जीवों की
जिसमें शामिल हैं पशु-पक्षी और वनस्पति
मानव का उद्भव स्थल हूँ पूरे ब्रह्माण्ड में एक
पंचभूतों में मैं श्रेष्ठ हूँ – माता का सम्मान लिए l’

अग्नि ने भी चुप्पी तोड़ी ‘मैं हूँ जीवन का संबल
चेतन जीवन का मूलतत्त्व, और मृत्यु की अवरोधक
दीप-शिखा मेरी प्रतीक, भोजन को ग्राह्य बनाऊँ
ज्वाला बनकर विश्व जला दूँ – भष्म करूँ जीवन को l’

सुनकर पंचमहाभूतों की भाषा विस्मित हुआ मैं मन में
स्पर्धा और शक्ति प्रदर्शन स्थित है उनके दिल में,
क्या अहंकार आधारभूत है संरचना के सूत्रों में
क्या यह भी एक ‘महाभूत’ है जीवन के उद्भव में?

अहंकार ले डूबेगा सदियों की अर्जित संस्कृति
कुंठित होगा धर्म-कर्म, मानवता होगी मूल्यहीन
इसका अन्त तभी होगा जब देह जलेगी अग्नि में
जब नश्वर काया होगी विलीन पंचमहाभूतों में !

जीवन प्रतिफल है समझौता का पंचमहाभूतों में
‘प्रकृति’ जिसका नाम सुलभ है, सौम्य और सुन्दर है
वर्तमान में इसे सँजोए – जीवन हो सुखद प्रतीत
अहंकार की माया होगी बुद्धि से अभिजित l


-कौशल किशोर श्रीवास्तव

(संकेत : हिन्दू धर्म के अनुसार मानव शरीर पंचमहाभूत (पंचतत्व) से बना है :
वायु, जल, पृथ्वी, अग्नि और आकाश l)

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