बातें 

किस की बातें
उस की बातें
मीठी बातें कढ़वी बातें
कुछ ऊँची, कुछ नीची बातें
लम्बी बातें, पल की बातें
रुसवा ना होना, कल की बातें।

किस से कहूँ मैं मन की बातें
क्यों करते हो, ऐसी बातें
मन दुःखता है वैसी बातें
सच्ची बातें, झूठी बातें।

तेरे मेरे प्रणय की बातें
मीठे सावन की वो बातें
ऊंची बेला कैसे महके
कुछ हल्के से हम भी महके
जीवन की सीढी में रह के
डरते डरते आगे बढ़ते
कुछ मैं कहती, कुछ तुम करते
इसी दौड़ में आगे बड़ते
जीवन की कटुता से सड़ते
हाथ थाम बस आगे बड़ते

पीछे घूम के मैंने देखा
प्रलय काल की कैसी रेखा
मन कहता कर दे अनदेखा
मन को काट गिराती बातें,
संगम मधुर बनाती बातें
रिश्तों की पीड़ा की बातें
कहीं छिपे भेदों की बातें
मानव की मक्कारी बातें
धनधान्य स्वार्थ की बातें
बहुत कुछ पढ़ाती बातें।

माँ के संग चूरी की बातें
दादी की लोरी की बातें
कहीं चवन्नी कहीं अठन्नी
भूली बिसरी सारी बातें

विश्व के पौधे की बड़ती बातें
शिव के कंठ गरल की बातें
कृष्ण के धुन की मीठी बातें
मीराँ के घुँगरू की बातें
समय बदलते छोर की बातें
देर रात रुलाती बातें
हम को कुछ बतलाती बातें
विषय विराग की गहरी बातें
जीवन पाठ पढ़ाती बातें
झूठी बातें सच्ची बातें
बहुत कुछ सिखलाती बातें।

*****

-मधु खन्ना

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