झिमिर झिम- झिम…

जोड़ टूटे, बंद टूटे,
बदलियों के छंद टूटे

झिमिर झिम- झिम…
झिमिर झिम- झिम…

प्रात सावन, रात सावन,
गूँध प्यासे गात सावन,
पड़ गयी छोटी यवनिका-
और रेशम कात सावन,

झिमिर झिम- झिम…
झिमिर झिम- झिम…

यूँ बरस कि आग नाचे,
बारिशों में फाग नाचे,
पी पुकारे जब पपीहा-
बिजलियों में नाग नाचे,

झिमिर झिम- झिम…
झिमिर झिम- झिम…

कौन सातों अंग बाँधे,
खुल गये जो रंग बाँधे,
लाज की कुछ रेत लेकर-
कौन बहती गंग बाँधे,

झिमिर झिम- झिम…
झिमिर झिम- झिम…

धड़कनों के ठाँव भीगे,
घुंघरुओं तक पाँव भीगे,
मोरपंखों के शहर में-
बादलों के गाँव भीगे,

झिमिर झिम- झिम…
झिमिर झिम- झिम…

ये टपकती चार बूँदें,
चिट्ठियाँ या तार बूँदें,
धुंध से कैसे निकल कर-
ले रहीं आकार बूँदें,

झिमिर झिम- झिम…
झिमिर झिम- झिम…

*****

-राजीव श्रीवास्तव

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