Category: राजीव श्रीवास्तव

वसन्त तो आ चुका है – (कविता)

वसन्त तो आ चुका है पक रहा है मौसमअमराइयाँ खदक रही हैं मीठी आँच परतितलियों पर मढ़ा हुआ सोनाचम-चम चमक रहा हैचंगुलों में लौट आयी हैं सुगंधियाँ;पूरे उफान पर है-नुचे…

दलदल के फूल – (कविता)

दलदल के फूल मैंग्रूव के जंगलों में छितरायीअनगढ़ और भयावनी दुनियाबदलती रहती हैहर घण्टे अपना चेहरापीछे से समन्दर भीमैदान बदल-बदल करखेलता रहता हैलहरों के खेल… सरकण्डों और मिट्टी के सहारे…

कमीज़ – (कविता)

कमीज़ कमरे की दीवार परखूँटी से झूलती कमीज़मेरी अपनी पहचान हैगोकि मसक गयी है जगह -जगह सेपर वर्षों बाद भी उतरा नहीं है इसका कड़क रंग बनिये की पुरानी उधारीऔर…

सबसे सुंदर लड़की – (कविता)

सबसे सुंदर लड़की सबसे सुंदर लड़कीकाँपती रहीलहरों में-थर-थरसिवार सी,सिहरती रहीआर्द्र दूब परनंगे पाँव। तिनके-तिनकेबहती रहीबारिशों मेंवक्त बे वक़्त;फेरती रहीआँख-हर मुस्कुराहट से,खींचती रहीहाथ-दोस्तों के हाथों से,डरती रही-परदेसी आसमानों से,प्रेमविह्वलपंछियों से। सबसे…

स्त्रियाँ – (कहानी)

स्त्रियाँ स्त्रियाँ पागल रहती हैं-किसी न किसी प्रतीक्षा में;यही नहीं कि बाहर गये लोग कब लौटेंगे वापसया कब कोई अतिथि दे देगा दस्तक द्वार परबल्कि स्त्रियाँ कुछ-कुछ पंछियों की तरह…

झिमिर झिम- झिम… – (कविता)

झिमिर झिम- झिम… जोड़ टूटे, बंद टूटे,बदलियों के छंद टूटे झिमिर झिम- झिम…झिमिर झिम- झिम… प्रात सावन, रात सावन,गूँध प्यासे गात सावन,पड़ गयी छोटी यवनिका-और रेशम कात सावन, झिमिर झिम-…

कोए से दिन – (कविता)

कोए से दिन फिर आएरेशम केकोए से दिन … धूप की नदीजैसेपिघला पीला संगमरमर,छायाएँलगी काँपनेडोंगियों सी ज़मीन पर,पानी-सा मन –सोने के साँपों के पोए से दिन… हर सम्मोहनटूटासूरज का जैसे…

मेघ ये आषाढ़ के – (कविता)

मेघ ये आषाढ़ के मेघ ये आषाढ़ के… बाँध कर साफे धुले, एक- सी लय में खड़े, ये चलें तो- आसमानी फर्श- फाहे सा उड़े, छतरियाँ सिर पर धरे, धूप…

वे बोलेंगे… – (कविता)

वे बोलेंगे… वे बोलेंगे…जिन कण्ठों में स्वर सच्चे हैं –वे बोलेंगे …जिनके सीने भीग रहे श्रम के पानी से,जिन आँखों में कच्ची मिट्टी के सपने हैं,इन्तजार में जो हैं –कब…

किरनों के मोरपंख – (कविता)

किरनों के मोरपंख किरनों के मोरपंखधूप लगी नोचने,चिड़ियों कोदर्द दिये-चिड़िये की चोंच ने… कागज़ की रोटियाँपंजों से बेल कर –कैसे फुसलायेगी ?पकड़ेगी हर शिकार –किधर खेल-खेलकर ?माथे पर –बल डाले-शाम…

राजीव श्रीवास्तव की ग़ज़लें – (ग़ज़ल)

राजीव श्रीवास्तव की ग़ज़लें -एक- पानी पानी धूप बिछी है, पाँव न रख, जल जायेंगे।हँस-हँस कर मिलने आये हैं, रो कर बादल जायेंगे। पुरखों की थाती यदि आँगन से विस्थापित…

राजीव श्रीवास्तव

डॉo राजीव श्रीवास्तव जन्म-स्थान : चौक, वाराणसी शिक्षा : एम. फिल., पी-एच.डी. (हिंदी साहित्य) प्रकाशित पुस्तकें : गीत, गज़ल, नवगीत और कविताओं के पांच पुस्तकों के अतिरिक्त कहानी और व्यंग्य…

Translate This Website »