
सुनिए
कोई सुने तो मैं सुनाऊँ
वो सब कुछ जो सुनाने वाला है
पर आजकल हर कोई
केवल सुना रहा है
सुन नहीं रहा है कोई
आम आदमी आजकल
व्यस्त है
सुधारने में
कौन सुधर रहा है उसके प्रयासों से
यही वो प्रश्न हैं
जो मैं करना चाहता हूँ
यही वो प्रश्न हैं
जिनका उत्तर देना चाहता हूँ मैं
मेरे प्रश्न न कोई सुनता है
ना ही उनके उत्तर देता हैं कोई
मैं इसलिए हो गया हूँ समझदार
आम आदमी की तरह
न मैं कुछ सुनता हूँ
ना ही कुछ सुनाता हूँ
या शायद
सुनता रहता हूँ
और सुनाता रहता हूँ!
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-निखिल कौशिक