काश कभी ऐसा भी हो

काश कभी ऐसा भी हो
सब नया-नया हो
आँख खुले सब नया-नया हो
बस नया-नया हो
सब नया-नया हो

धरती अम्बर चंदा तारे
नदियाँ पर्वत और नज़ारे
सब में एक उन्माद भरा हो
सब नया-नया हो

नया बनूँ मैं
तुम भी नए हो
संगी-साथी दोस्त नए हों
रिश्तों की दीवारों से भी दीमक निकले
सब नया-नया हो

एक विश्व हो एक हो आशा
एक रंग हो एक हो भाषा
हथियारों को पिघला कर औज़ार बनें
सब नया-नया हो

काश कभी ऐसा भी हो
सब नया-नया हो
आँख खुले सब नया-नया हो
बस नया-नया हो
सब नया-नया हो

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– अजय त्रिपाठी

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