
अच्छा है
सूखा पत्ता
बोझिल रिश्ता
झड़ जाए तो अच्छा है।
मन की पीर
नयन का नीर
बह जाए तो अच्छा है।
काली रात
जी का घात
ढल जाये तो अच्छा है।
अमीर की तिजोरी
चोर की चोरी
खुल जाए तो अच्छा है।
बेकल राग
दामन का दाग
मिट जाए तो अच्छा है।
रात की रानी
दुश्मन की बानी
महक जाए तो अच्छा है।
मन की पाती
दिए की बाती
बढ़ जाए तो अच्छा है।
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– शिखा वार्ष्णेय