
– अनुराग शर्मा
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घेरे अपने-अपने
अपने घेरे में ही, गुनगुनाते रहे
पास आना तो दूर, दूर जाते रहे॥
प्रीत हमसे न थी तो जताते नहीं
प्यार के नाम पर, क्यूँ सताते रहे॥
फूल कुप्पा थे हम, देखकर के तुम्हें
पर तुम औरों के फुग्गे, फुलाते रहे॥
प्रेम समझा जिसे एक धोखा ही था
पीठ दुश्मन की तुम, सहलाते रहे॥
प्यार पैसा नहीं, यह तो सच है मगर
हम कमाते रहे, तुम लुटाते रहे॥
हमने जितनी नजाकत से रक्खा तुम्हें
उतनी शिद्दत से, तुम दिल दुखाते रहे॥
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