
गिओर्गी दारछिश्विली- जॉर्जियाई अभिनेता और कवि

हिंदी अनुवाद : गायाने आग़ामालयान
मूल कविता : गिओर्गी दारछिश्विली- जॉर्जियाई अभिनेता और कवि
हिंदी अनुवाद : जॉर्जियाई से गायाने आग़ामालयान
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आत्मा के पत्ते
पता चला कि आत्मा के भी पत्ते होते हैं,
जो शरद ऋतु में नहीं गिरते,
आत्मा कभी वसंत का गीत नहीं गाती,
आत्मा फूल का इंतजार नहीं करती,
सर्दियों में भी आत्मा कभी बर्फ से ढकी नहीं होती,
आत्मा केवल प्रेम की प्यासी है।
आत्मा अपने पाठक को खोजती है।
और हमेशा तन्हाई में चुप रहती है।
आत्मा को विश्वास है कि वह अपना भाग्य पा लेगी।
पता चला कि आत्मा के भी पत्ते होते हैं,
जो शरद ऋतु में नहीं गिरते,
आत्मा फीकी नहीं पड़ती, पीली नहीं पड़ती।
वह तो बस एक जीवनसाथी की तलाश में है…
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