
प्यास
नौकरानी की नाज़ुक उंगलियाँ ने
मुझे लाल वाइन से भरा एक प्याला दिया।
मैंने ध्यान से कांच के प्याला को छुआ,
और मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा,
मेरी प्रिया, तुम्हारे होंठ ने मुझे सूरज की तरह गर्म कर दिया,
और मुझे ऐसा लगा जैसे यह एक सपना था।
मैं बिना थके उसकी आँखों में देखता रहा,
और मैं उसकी गर्मी से जल गया।
՛՛बताओ, क्या तुम्हारे हृदय की प्यास बुझी?՛՛
उसकी आवाज़ भजन जैसी थी,
मेरा दिल अभी भी शांत नहीं हो पाया,
मैंने यह प्याला खाली कर दिया,
और वह उसी क्षण गायब हो गयी।
फिर मैं भी जाग गया,
और वह तुरंत सूर्य की किरणों में विलीन हो गयी,
मानो वह कभी अस्तित्व में ही न थी,
और मैं मुस्कुराया…
यह प्याला, शराब से भरा प्याला…
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मूल कविता : गीओर्गी दारचहिअश्विली, जॉर्जियाई, अभिनेता और कवि
कविता का हिंदी अनुवाद : गायाने आग़ामालयान