Category: कृष्णा वर्मा

शून्य का बोझ – (लघु कथा)

शून्य का बोझ कृष्णा वर्मा प्रकाश की पत्नी का असमय देहांत हो गया। पत्नी से अगाध प्रेम करने वाले प्रकाश ने कभी दूसरी शादी करने का सोचा तक नहीं। नन्हे…

गैप – (लधु कथा – अनुवाद)

गैप कृष्णा वर्मा चाय की चुस्की लेते हुए पापा ने पूछा , “नेहा कौन सा विषय सोचा नवीं कक्षा के लिए, साइंस या कॉमर्स?” कुछ सोचते हुए नेहा बोली, “पापा,…

कृष्णा वर्मा की हाइकु

हाइकु रुत की ख़ताचुप्पियों को दे गईगीतों का पता। सर्दी का छोरामाना नहीं लाने सेहिम का बोरा। हिम उत्पातआँगन, छत, छज्जेकाँपे हैं हाड़। तुमने मुझेजब-जब नकाराऔर सँवारा। गिरीं बौछारेंझुलसी दिशाओं…

माहिया – (कविता)

माहिया यादों की गहन झड़ीढलकें ना आँसूपलकें ले बोझ खड़ीं। दिल बाँचे यादों कोकाँधे तरस गएअपनों के हाथों को। उलझी जीवन- पाँखेंभूल गई आँसूगुमसुम भीगी आँखें। हम कुछ ना कह…

सेदोका – (कविता)

सेदोका ओस बूँदों सीसरल औ निश्छलतुम्हारी ये मुस्कानढही आस कोदे जीने की वजहफूँके नूतन प्राण। बदली रुतसावन डाकिया लेआया पुराने ख़तभूली यादों कीभीगी-भीगी चिठ्ठियाँसुलगा रहीं मन। छुआ हवा केहाथों ने…

ताँका – (कविता)

ताँका तिरा संदेहअपाहिज है वक़्तकाँप रही हैंविश्वास की मीनारेंदूरी बनी इलाज। बाँधे घुँघरूमलय पवन नेहोंठों पे रागमेघों ने ढोल पीटेबुँदियों की बारात बाँसों के वनजब बजी बाँसुरीपगला मनप्रीतम की यादों…

यादों का वसंत (चोका) – (कविता)

यादों का वसंत (चोका) जब भी मेरेमन उपवन मेंउतर आतातुम्हारी स्मृतियों कामोही वसंतढुलक जाता प्यारमेरी कोरों सेनेह की बूँद बनमहक जाताहै मेरा रोम-रोमअहसासों कीसंदली ख़ुशबू सेउर कमलपर तिर आते होओस…

तेरा जाना – (कविता)

तेरा जाना किए जतन मन बहलाने कोमिलते नहीं बहानेअधरों की हड़ताल देख करसिकुड़ गईं मुसकानें। मन का शहर रहा करता थाजगमग प्रीतम तुमसेबिखर गया सब टूट-टूट करचले गए तुम जबसे।…

कह दो न इक बार – (कविता)

कह दो न इक बार ज़रा सोचो तोतुम्हारी ज़िद के चलतेइस रूठा-रूठी के दौर मेंजो मैं हो गई धुँआतो क़सम ख़ुदा कीछटपटाते रह जाओगेक्षमा के बोल कहने कोलिपट कर मेरी…

अनोखा सुख

फोन की घंटी घनघनाई! गोद में खिला रही नन्ही बच्ची को पत्नी की ओर बढ़ाते हुए तिवारी जी ने रिसीवर थामा– हल्की सी प्रसन्नता घुली आवाज़ में– हैलो–अरे प्रभाकर– नमस्ते-नमस्ते,…

गैप

चाय की चुस्की लेते हुए पापा ने पूछा, “नेहा कौन सा विषय सोचा नवीं कक्षा के लिए, साइंस या कॉमर्स?” कुछ सोचते हुए नेहा बोली, “पापा, साईंस तो बिल्कुल नहीं।…

कैसे हाशिए

जैसे ही समीरा लंच से लौट कर आई उसके सेल फोन पर एक मैसेज आया। मैसेज को पढ़ते ही उसके चहेरे पर परेशानी की लकीरें उभरने लगीं। “माँ की तबीयत…

कृष्णा वर्मा

शिक्षा : (स्नातक) दिल्ली विश्वविद्यालय प्रकाशित कृतियाँ पुस्तकें : अम्बर बाँचे पाती, २०१४, अयन प्रकाशन, भारत से। द्वितीय संस्करण हिन्दी राइटर्स गिल्ड, कनाडा से प्रकाशित २०१४; देहरी पर धूप २०२०,…

Translate This Website »