अमरेन्द्र कुमार, अमेरिका

आत्मा की अदालत

ईमान के लिए अगर
बिगाड़ की बात करोगे?
अपनी बर्बादी का गड्ढा
क्या खुद खोदोगे?

किसी का कुछ जायेगा नहीं
अपना नुकसान आप भरोगे

अलगू चौधरी के काम
जुम्मन शेख ही आयेगा
अपनी राह लेगी खाला
बता फिर तू क्या करेगा?

सुन, खाला के सामने
खाला की बात कर
जुम्मन की बीबी का
खाना तो याद कर

सच अगर इतना सबल
क्यों हारता है पल पल
सच का साथ बाद में
पार कर बल की दलदल

पञ्च में जो अगर
परमेश्वर का वास होता है
तो फिर बोलो लोगों
न्याय सदा क्यों सोता है?

पेड़ के नीचे बैठी
पंचायत कुछ और है
सच और झूठ दोनों को
मिलता जहाँ ठौर है

एक अदालत आत्मा की
मन का चोर जहाँ घबराता है
बिना साक्ष्य और साक्षी के
दूध का दूध, पानी का पानी हो जाता है|


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »