अमरेन्द्र कुमार, अमेरिका

पावस

(१)

जाते-जाते
सावन डाकिये ने
बचे बादलों के बण्डल को
बढ़ा दिया भादों को
ताकि धरती पर
जल का वितरण
होता रहे निरंतर-निर्बाध|

(२)


सूरज साहब के नाम
धूप की छुट्टियों की अर्जी
बंद है दराज़ में
बादल बाबू के दफ्तर में
सारे के सारे बादल
उमड़-घुमड़ रहे केवल
जैसे बैठे हों हड़ताल पर
किसी अनबूझ मांग को लेकर

तभी से न धूप है
और न ही पानी
है तो केवल उमस
असफल वार्ता की तरह|

(३)


आज सूरज मास्टर साहब
नहीं आये बीमार होने के कारण
अफवाहें बुलंद हैं क्लास में

सारे बादल आवारे लड़कों की भांति
घूम रहे आसमान की गलियों में

छेड़-छाड़ से तंग तेज हवायें
रह-रह कर बिखेर देतीं
आवारे बादलों के झुण्ड को

उधर स्कूल में
बिजली प्रिंसिपल ने
रह-रह कर
चमक-चमक कर
गरज-गरज कर
सर पर उठा लिया
स्कूल ही सारा|

फिर आयी तेज आंधी
स्कूल मुख्यालय से
घंटों चली बैठक
बंद कमरे में

कुछ बदल बरस गए
कुछ बिखर गयें
कुछ भाग गये

तेज हवायें अब क्लांत हैं
बिजली मैम आफिस में शांत हैं
सूरज मास्टर देर से ही
पर क्लास में पधार चुके हैं|

(४)

चाँद के नेतृत्त्व में
तारों की बैठक में
अनामंत्रित बादल
उड़ते-उड़ते आये
संग-संग पानी लाये
देखते-देखते
सभा गयी बिखर
हवा बनी जब गुप्तचर

चाँद तिरोहित हुआ
तारें भी डूब गये |

(५)

बरसात के बाद में
शरद की एक रात ने

सरका दिया
बादलों का पल्लू

पोंछ लिए
बरसात के आंसू

माथे पर लगायी
चाँद की बिंदी
अनगिन तारों संग
खिलखिलाकर हंस पड़ी
मुख उसका उज्जवल हुआ
तन मन जब शीतल हुआ|

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