
-सुनील शर्मा, कनाडा
एक अहसास
तुम
खुशबू की मानिंद
आस पास हो
हमेशा
कभी हवा में
कभी
सितारों में
इस गुनगुनाती
धूप में
वृक्षों
की छाया
में
तो कभी
पक्षी की
उड़ान में
तुम लहराती
झील में
कभी धूप के
आंगन में
कभी तुलसी
में
कभी
संध्या अर्चना
में
तुम हर
जगह हो
और मेरे
गीतों में
हर सांस में
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