-सुनील शर्मा, कनाडा

इस बारिश में निर्मल वर्मा के साथ

टोरंटो की इस हलकी-हलकी
बारिश में

एक बस
के इंतज़ार
में, अकेला,

अचानक
ऐसा
क्यों
लगा

मैं
वापस, उसी वक़्त,

गंगा के किनारे
लौट आया हूँ,

एक बार फिर से

गोधूलि है
आकाश रक्तिम है

पक्षी
और
लोग वापस आ रहें
हैं,

लौट रहें है अपने-अपने
घर,

थोड़ा थके
से पर
खुश-खुश,

सब तरफ फसल
की खुशबू है

दूर
अपना
गांव दिख रहा है

माँ की आवाज़, एक
उदास
सांझ जैसी:

“आ गया बेटा?
काफी
देर कर दी आने
में।”

मुझे पता नहीं
यह

बारिश है
या
नमकीन पानी
जो

आंखों से
लगातार

टपक रहा है,
बूंदों जैसा,

क्यों

मैं
एक ही क्षण में

दो खंड काल
में
ज़िंदा हूँ, विभाजित,

एक अजनबी शहर में,
“वे दिन” के साथ
जो
बैकपैक में

साँसे ले रहा है
इस सफर में

एक
दोस्त के जैसा?

***** *****

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »