डॉ. शिप्रा शिल्पी (कोलोन, जर्मनी)

*****

चौक पुराये मंगल गायें

चौक पुराये मंगल गायें, आई है दीवाली
नाचे-गायें ख़ुशी मनायें, आई है दीवाली

धनतेरस खुशहाली लाया
जन-जन का है मन हर्षाया
मिलजुल कर सब सजे-सजायें, आई है दीवाली

आज नरक-चौदस है आई
चलो करें हम साफ़-सफाई,
घर-आँगन-चौखट मुस्कायें, आई है दीवाली

है कार्तिक की रात अँधेरी
चंदा ने भी आँखें फेरी
दीप जला तम दूर भगायें, आई है दीवाली

रिद्धि-सिद्धि संग गणपति सोहें
लक्ष्मी रूप जगत को मोहें
हम सब इनको शीश नवायें, आई है दीवाली

खील-खिलौने और मिठाई
लडडू-पेड़े-बालूशाही
आओ सबका भोग लगायें, आई है दीवाली

गोवरधन धन-वैभव लाये,
सबने छप्पन भोग चढ़ाये
प्रभु जी सब पर कृपा लुटायें, आई है दीवाली

भाईदूज आज फिर आया,
फिर बहना का मन मुस्काया
भैया को रोचना लगायें, आई है दीवाली

चित्रगुप्त जी का हो पूजन
बने ज्ञान से जीवन पावन
नेह शारदा माँ बरसायें, आई है दीवाली

दीवाली का पर्व सुहावन
देता यह सन्देश कि जन-जन
इक-दूजे को गले लगायें, आई है दीवाली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »