
अमेरिका में विश्व भाषा मानक आधारित पाठ्यक्रम रचना
– सुषमा मल्होत्रा, सहायक व्याख्याता, क्वींस कॉलेज, न्यूयॉर्क
वैश्वीकरण के इस युग में भारत की राष्ट्रीय और आधिकारिक भाषा और एशिया की लिंगू फ़्रैंका, जिसे कई लोग बोलते हैं और दुनिया भर में कई लोगों द्वारा समझी जाती है, ने इसे वैश्विक भाषा बनाकर एक जगह बनाने के लिए एक लंबा सफर तय किया है। वेब मीडिया,फेसबुक, ट्विटर में हिंदी का प्रयोग पिछले कुछ वर्षों में बहुत लोकप्रिय हो गया है। यूनिकोड की शुरूआत ने हिंदी को उसके सही देवनागरी रूप में पढ़ना और लिखना आसान बना दिया है, जैसे-जैसे भारत विकसित हो रहा है, ई-कॉमर्स, वेब और डिजिटल मीडिया में अधिक सामग्री के साथ हिंदी का महत्व भी दुनिया में बढ़ रहा है।
लेकिन मेरा आज का विषय मीडिया के ऊपर बात करने का नहीं है।
मैं बात करना चाहूंगी कि “हिंदी को एक विदेशी या विश्व भाषा के रूप में पढ़ाना और उसके लिए पाठ्यक्रम कैसे तैयार होना !”
संयुक्त राज्य अमेरिका में विश्व भाषा की शिक्षा एवं शिक्षण बहुत दिलचस्प है, विशेष रूप से जब आपकी भाषा बहुत कम स्कूलों में पढ़ाई जा रही हो l जैसे कि हिंदी उनमें से एक है l अध्ययन और अध्यापन दोनों एक चुनौती बन जाते हैं कभी कभी संदर्भित reference करने के लिए कोई निर्दिष्ट पाठ्य पुस्तकें नहीं होती हैं। शिक्षकों को शिक्षण को पाठ्यक्रम की आवश्यकता के अनुरूप करने के लिए शिक्षण प्रामाणिक सामग्री की खोज करनी पड़ती है l क्योंकि शिक्षकों को पाठ्य पुस्तकों के बिना अपना पाठ्यक्रम स्वयं रचना पड़ता है।
निसंदेह संयुक्त राज्य में विश्व भाषा मानक और विभिन्न विश्व भाषा संगठन हैं जो शिक्षकों को उनकी पाठ्यक्रम एवं पाठ्यचर्या तैयार करने और प्रामाणिक सामग्री खोजने में सहायता करते हैं। विश्व भाषा की नवीनतम शिक्षण रणनीतियों और तकनीकों के साथ नियमित बैठकें और कार्यशालाएँ भी होती हैं।
भाषा निर्देश के बारे में बात करने से पहले हमें यह जानना होगा कि विश्व भाषाओं ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना आधार कब स्थापित किया था l संयुक्त राज्य अमेरिका में विश्व भाषाओं के बारे में बहुत से तथ्य हैंl
ऐतिहासिक रूप से विदेशी भाषा शिक्षण में संयुक्त राज्य अमेरिका में देशी अंग्रेजी बोलने वालों के लिए स्पेनिश, फ़्रेंच, लैटिन, इतालवी या जर्मन के शिक्षण शामिल थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के आर्थिक चमत्कार के बाद जापानी भाषा की शिक्षा में वृद्धि हुई थी।
चीनी भाषा को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के रिफ़ॉर्म और ओपनिंग के जवाब में पढ़ाया जाने लगा था।
11 सितंबर के आतंकवादी हमलों के बाद, अरबी अमेरिका की “अगली रणनीतिक भाषा” बन गई थी।
संयुक्त राज्य अमेरिका के स्कूलों में हिंदी सहित अन्य कई भाषाओं को आम तौर पर कम पढ़ाया जाता है। परन्तु मूल अप्रवासी छात्र विभिन्न राज्यों द्वारा निर्धारित पात्रता के आधार पर भाषा के लिए स्टेट रीजेन्ट्स की परीक्षा दे सकते हैं।
अगर आप शिक्षक हैं और आपको कोई भी विश्व भाषा सिखानी है तो आपको स्वयं एक पाठ्यक्रम भी लिखना और तैयार करना होता है। पाठ्यक्रम लिखने के लिए मानकों की भी आवश्यकता होती है।
अमेरिकन काउंसिल ऑन द टीचिंग ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेस (ACTFL) “एक राष्ट्रीय संगठन है जो पूरे संयुक्त राज्य में शिक्षा के सभी स्तरों पर सभी भाषाओं के शिक्षण और सीखने के सुधार और विस्तार के लिए समर्पित है।” अमेरिकन काउंसिल ऑन द टीचिंग ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेस (ACTFL) के अनुसार अंतिम लक्ष्य को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम शुरू करना “बैकवर्ड डिज़ाइन” लोकप्रिय है और आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला है। यह डिज़ाइन प्रभावी भाषा निर्देश के लिए मुख्य अभ्यासों में से एक है जो शिक्षण और सीखने के बारे में उद्देश्यपूर्ण ढंग से सोचने पर निर्भर करता है।
विश्व भाषा के पाठ्यक्रम नियोजन के लिए विश्व भाषा मानक बहुत आवश्यक हैं। उन विश्व भाषा मानकों को आमतौर पर 5सी (5Cs) के रूप में जाना जाता है।
पहला C :
- संचार (Communication): विभिन्न स्थितियों में और कई उद्देश्यों के लिए कार्य करने के लिए एक से अधिक भाषाओं में प्रभावी ढंग से संवाद।
इन्हें मोड्स कहा जाता है
- INTERPRETIVE MODE व्याख्यात्मक विधा: शिक्षार्थी विभिन्न विषयों पर जो कुछ भी सुनते, पढ़ते, या देखते हैं, फिर उसको समझते, व्याख्या और विश्लेषण करते हैं।
- इंटरपर्सनल MODE पारस्परिक विधा: शिक्षार्थी सूचना, प्रतिक्रियाओं, भावनाओं और विचारों को साझा करने के लिए बोली जाने वाली, हस्ताक्षरित, या लिखित बातचीत में अर्थों को जोड़ते हैं और बातचीत करते हैं।
- PRESENTATIONAL MODE प्रस्तुतिकरण विधा : शिक्षार्थी उपयुक्त मीडिया का उपयोग करके विभिन्न विषयों पर सूचना देने, समझाने, और विभिन्न श्रोताओं, पाठकों या दर्शकों को जानकारी अपनाने के लिए, अवधारणाएँ और विचार प्रस्तुत करते हैं।
- संस्कृति (Culture): सांस्कृतिक क्षमता और समझ के साथ बातचीत।
- परिप्रेक्ष्य के लिए सांस्कृतिक प्रथाओं से संबंधित: शिक्षार्थी भाषा का उपयोग अध्ययन करने, समझाने और अध्ययन किए गए संस्कृतियों की प्रथाओं और दृष्टिकोणों के बीच संबंधों पर प्रतिबिंबित करते हैं।
- सांस्कृतिक उत्पादों को परिप्रेक्ष्य से संबंधित करना: शिक्षार्थी अध्ययन किए गए संस्कृतियों के उत्पादों और दृष्टिकोणों के बीच संबंध की जांच, और व्याख्या करने के लिए भाषा का उपयोग करते हैं।
- संयोजन (Connection): अन्य विषयों के साथ संपर्क और शैक्षणिक और कैरियर से संबंधित स्थितियों में भाषा का उपयोग करने के लिए जानकारी के दृष्टिकोण।
- संपर्क बनाना: महत्वपूर्ण सोच विकसित करने और रचनात्मक रूप से हल करने के लिए भाषा का उपयोग करते हुए शिक्षार्थी अन्य विषयों के अपने ज्ञान का निर्माण, सुदृढ़ीकरण और विस्तार करते हैं।
- सूचना और विविध परिप्रेक्ष्य प्राप्त करना: शिक्षार्थी सूचना और विविध दृष्टिकोणों का उपयोग और मूल्यांकन करते हैं जो भाषा और इसकी संस्कृतियों के माध्यम से उपलब्ध हैं।
- तुलना (Comparison): सांस्कृतिक क्षमता के साथ बातचीत करने के लिए भाषा और संस्कृति की प्रकृति में अंतर्दृष्टि विकसित करना।
- भाषा तुलना: सीखने की भाषा और उनकी अपनी तुलना के माध्यम से, भाषा की प्रकृति की जांच, व्याख्या और व्याख्या करने के लिए भाषा का उपयोग करते हैं।
- सांस्कृतिक तुलना: सीखने वाले अपनी तुलना की गई संस्कृतियों और स्वयं की तुलना में संस्कृति की अवधारणा की जांच और व्याख्या करने के लिए भाषा का उपयोग करते हैं।
- समुदाय (Community):स्कूल, वैश्विक समुदाय, और दुनिया भर में भाग लेने के लिए सांस्कृतिक क्षमता के साथ संवाद और बातचीत करना ।
- स्कूल और वैश्विक समुदाय: शिक्षार्थी अपने समुदाय और वैश्वीकृत दुनिया में बातचीत और सहयोग करने के लिए कक्षा के भीतर और बाहर दोनों भाषाओं का उपयोग करते हैं।
- आजीवन सीखना: शिक्षार्थी आनंद, संवर्धन और उन्नति के लिए भाषाओं का उपयोग करने से अपनी प्रगति को दर्शाने के लक्ष्य निर्धारित करते हैं।
जैसे-जैसे शिक्षण 21वीं सदी में आगे बढ़ रहा है, शिक्षण विकसित और परिवर्तित हो रहा है।
मापने योग्य परिणामों के साथ पाठों को डिजाइन करने के लिए, शिक्षकों को अपनी सोच को बदलने की जरूरत है।
आज कल शिक्षक भाषा की पुस्तकों पर भी निर्भर नहीं करते क्योंकि पाठ्यपुस्तक विश्व भाषा कक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाती है।
एक पाठ्यपुस्तक उतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ सकती, जितनी तेजी से तकनीक और हमारे आसपास की दुनिया; एक पाठ्यपुस्तक छात्रों को चुनौती देने और प्रेरित करने के लिए आवश्यक गहराई और नवीनता प्रदान नहीं करती है, हमें आश्चर्य होता है कि अब पाठ्यक्रम कहाँ से शुरू करें और कैसे करें
नीड बेस्ड जिसकी जरूरत है पर कैसे लिखें और पाठ्यक्रम की रचना करें
आज कल विश्व भाषा की कक्षा में बैकवर्ड डिज़ाइन की परियोजना बहुत प्रसिद्ध है जो “अंतिम लक्ष्य” या सीखने के बिंदु की ओर पढ़ाना और योजना बनाना है। बैकवर्ड डिज़ाइन का आधार सरल है l साधारण शब्दों में एक पाठ, इकाई या पाठ्यक्रम योजना अंतिम उत्पाद पर ध्यान देने के साथ शुरू होता है। इसे बैकवर्ड डिज़ाइन इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यह अंत (यानी उद्देश्यों) को ध्यान में रखकर शुरू होता है और वहीं से पीछे की ओर काम करता है l
फिर उसी के आधार पर मूल्यांकन रणनीतियों की योजना बनाई जाती हैं और
अंत में निर्देश और कार्यभार के तरीकों का निर्धारण किया जाता है ।
बैकवर्ड डिजाइन का पालन करने के लिए शिक्षकों को निम्नलिखित तार्किक चरणों को अपनाना अनिवार्य है :
चरण 1 –वांछित परिणामों की पहचान: आप अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाना चाहते हैं
शिक्षक आवश्यक प्रश्नों का उपयोग करके अध्ययन की एक इकाई के बड़े विचारों की पहचान करते हैं। शिक्षक शिक्षार्थियों के मानकों की समीक्षा करके परियोजना शुरू करते हैं और छात्रों से पाठ्यक्रम या ग्रेड स्तर के अंत तक उसे पूरा करने की उम्मीद करते हैं । फिर विचार एक क्रॉस–करिकुलर यूनिट बनाने का होता है जो छात्रों को सार्थक सीखने के अवसर प्रदान करता है, अगला कदम आवश्यक ज्ञान, कौशल और अवधारणाओं की एक सूची तैयार करना है जो छात्रों को एक विशिष्ट इकाई के दौरान सीखने की आवश्यकता होती है। इस जानकारी का उपयोग करके, शिक्षक एक अंतिम मूल्यांकन बना सकता है, जिसका उपयोग यह मापने के लिए किया जा सकता है कि छात्र किस डिग्री तक वांछित परिणाम प्राप्त कर रहे हैं।
चरण 2 – स्वीकार्य साक्ष्य निर्धारित करना:
इस चरण में, शिक्षक प्रश्न पूछता है, “मुझे कैसे पता चलेगा कि छात्रों ने वांछित परिणाम प्राप्त किया है?”
मुख्य बात यह है कि शिक्षक को एक मूल्यांकनकर्ता के रूप में सोचना और छात्र की उपलब्धि का मूल्यांकन करने के लिए सार्थक तरीकों की तलाश करना है।
इस दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, शिक्षक रचनात्मक आकलन के माध्यम से छात्र के सीखने का आकलन कर सकता है, जैसे एक-पर-एक साक्षात्कार, लघु प्रश्नोत्तरी, सहकर्मी मूल्यांकन, और व्यक्तिगत प्रतिबिंब।
चरण 3 – सीखने के अनुभव और निर्देशात्मक योजना बनाना:
शिक्षक शिक्षार्थियों के ज्ञान और कौशल को विकसित करने के लिए दिन–प्रतिदिन के सीखने के कार्यों को तैयार करते हैं। स्पष्ट परिणामों और समझ का आकलन करने के तरीकों के साथ, शिक्षक अब छात्रों को सामग्री की नई समझ प्राप्त करने में मदद करने के लिए निर्देशात्मक रणनीतियों Instructional strategies को तैयार कर सकते हैं ।
पीछे की ओर डिजाइन करने के बाद, शिक्षक पारंपरिक पाठ्यपुस्तक से बंधे नहीं हैं और विभिन्न संसाधनों को एक साथ एकत्रित कर सकते हैं, जैसे कि संज्ञान (कॉग्निटी), जो आपके लिए कार्य करता है और जानकारी को बेहतर प्रारूप में प्रस्तुत करता है जिसमें सोचना, याद रखना, सीखना और भाषा का उपयोग करना शामिल है।
मैं एक बड़ी इकाई Unit और एक दिन के विषय के साथ एक पाठ योजना Lesson Plan प्रस्तुत कर रही हूँ । मैंने यह (बैकवर्ड डिजाइन) अंतिम लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इसे नियोजित किया है l
यूनिट का प्रसंग: “भारत का अमृत महोत्स्व” है यह विषय चार सप्ताह के लिए योजनाबद्ध है l
- शिक्षक ऑनलाइन शोध करने और पढ़ने के लिए प्रामाणिक सामग्री की एक सूची प्रदान करेंगे।
- शिक्षक विश्व भाषा मानकों के अनुरूप प्रत्येक दिन के लिए पाठ योजना तैयार करेंगे, शब्दावली और व्याकरण को शामिल करेंगे, प्रत्येक पाठ में एक उत्पाद Product साप्ताहिक परियोजना की ओर ले जाएगा ।
- जो इकाई के अंतिम उत्पाद “भारत का अमृत महोत्स्व” को पूरा करने के लिए सहायक होगा l अंतिम प्रोजैक्ट में छात्र भारत की स्वतंत्रता के ७५ वें वर्ष का जश्न मना सकते हैं, वे अपनी पसंद के विषय पर रिपोर्ट लिख सकते हैं, कविताएं लिख सकते हैं, लघु नाटक, और कोई भूमिका भी निभा सकते हैं और पावर प्वाइंट प्रस्तुत कर सकते हैं।
पहले सप्ताह का विषय: “1857 का स्वतंत्रता संग्राम”, उस सप्ताह छात्र १८५७ का स्वतंत्रता संग्राम के कारणों और प्रभावों के बारे में पढ़ेंगे l सभी प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में भी शोध करेंगे l
दूसरे सप्ताह का विषय: “ स्वतंत्रता तक संगठित आंदोलनों का उदय”, दूसरे सप्ताह छात्र सभी संगठित गुटों की जानकारी प्राप्त करेंगे,
तीसरे सप्ताह का विषय: “1947 में भारत की स्वतंत्रता”, तीसरे सप्ताह में छात्र भारत स्वतंत्रता आंदोलन और प्रसिद्ध नेताओं के बारे में पढ़ेंगे और
चतुर्थ सप्ताह का विषय: “भारत की स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्ष” भारत की उपलब्धियों और आजकल भारत का विश्व पटल पर स्थान के बारे में पढ़ेंगे l
प्रत्येक सप्ताह के विषयानुसार एक उत्पाद का सृजन करके प्रस्तुत करेंगे और इस तरह वे स्वतंत्र शिक्षार्थी भी बन पाएंगे
एक उदाहरण के तौर पर, मैं , इस यूनिट के पहले सप्ताह के पहले दिन के अध्याय पर एक दिवसीय पाठ योजना बना कर इस लेख में सम्मिलित कर रही हूँ
इकाई– यूनिट थीम: “भारत का अमृत महोत्स्व” |
आज का विषय: भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम |
केंद्रीय फोकस: छात्र १८५७ का स्वतंत्रता संग्राम के कारणों और प्रभावों के बारे में पढ़ेंगे l |
१. संस्कृति मानक: शिक्षार्थी अध्ययन की गई संस्कृतियों की प्रथाओं, राज्य प्रबंध, और दृष्टिकोणों के बीच संबंधों की जांच, व्याख्या और प्रतिबिंबित करने के लिए हिंदी का उपयोग करेंगे l |
२. संचार मानक |
व्याख्यात्मक: छात्र १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम का एक वीडियो देखकर उस के कारणों और प्रभावों को समझेंगे l |
पारस्परिक: छात्र १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में अपनी जानकारी का सहज बातचीत के माध्यम से आदान-प्रदान करेंगे l |
प्रस्तुतिकरण: छात्र १८५७ का स्वतंत्रता संग्राम क्यों हुआ, इसका कारण और इस के क्या प्रभाव हुए, एक रिपोर्ट या पोस्टर, और कुछ छात्र पावर पॉइंट के माध्यम से भी अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत करेंगे l |
३. तुलना: छात्र इस स्वतंत्रता संग्राम की तुलना किसी अन्य ऐतिहासिक लड़ाई से कर सकते हैं l |
४. सम्बन्ध: छात्र भारत के मानचित्र पर नाम और स्थान सीखकर इस ऐतिहासिक लड़ाई को भूगोल से जोड़ सकते हैं l |
५. समुदाय: छात्र १८५७ के दौर के समुदाय और उन लोगों की जीवन शैली को जान सकते हैं l |
कैन डू स्टेटमेंट्स: छात्र क्या कर सकते हैं?
१. मैं १८५७ का स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य लोगों के नाम पहचान सकता हूँ। २. उनके नाम के लिए मैं हिंदी के अक्षरों को समझ सकता हूं। | १. मैं १८५७ की स्वतंत्रता संग्राम के बारे में एक गद्य: एवं कविता पढ़ सकता हूं। २. मैं अपने साथी की बातचीत को सुनकर १८५७ के संघर्ष की जानकारी लिख सकता हूं। | १. मैं १८५७ के संग्राम के कारण और प्रभाव के ऊपर रिपोर्ट लिख कर प्रस्तुत कर सकता हूँ |
पाठ का चरण–दर–चरण वितरण |
अपने छात्रों को तैयार करना: १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में एक वीडियो या फिल्म दिखाएँ |
प्रेरणा: (Motivation )छात्र आपस में फ़िल्म के बारे में बातचीत करेंगे जो भी उनके मन में जिज्ञासा या प्रश्न उत्त्पन हो वह शिक्षक से पूछने के लिए तैयार हो जायेंगे |
लक्ष्य प्रश्न: १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के क्या कारण थे और उसके क्या प्रभाव पड़े ? |
व्याख्यात्मक मोड कार्य: बोर्ड पर नए शब्दों के अर्थ समझाने के लिए शिक्षक संबंधित छवियों का उपयोग करता है। जो वीडियो दिखाया है अपने शब्दों में उसका वर्णन करता है और छात्रों से कुछ प्रश्न आदि भी पूछता है l |
पारस्परिक मोड कार्य: छात्र वीडियो के बारे में अपने शिक्षक की जानकारी सुनकर उत्तर खोजने के लिए अपनी कक्षा में साथी के साथ कुछ बातचीत कर सकते हैं । |
प्रस्तुतीकरण मोड कार्य: अंत में कक्षा में साथी के साथ संग्राम के कारणों और उनके प्रभावों को एक संक्षिप्त लेख में प्रस्तुत कर सकते हैं समय की कमी हो तो वह कार्य छात्र अपने घर जा कर पूरा करके भी ला सकते हैं l |
गृहकार्य: १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के तीन से पाँच कारणों एवं प्रभावों को लिखिए l |
सारांश और समापन: छात्र एक-दूसरे से लक्ष्य प्रश्न पूछते हैं और कैन-डू स्टेटमेंट्स (बयान कर सकते हैं) की समीक्षा करते हैं l |
सामग्री: १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम की तस्वीरें, स्वतंत्रता सैनानियों की तसवीरें चार्ट या पोस्टर हिंदी में स्वतंत्रता संग्राम के बारे में वीडियो या फिल्म, स्वतंत्रता संग्राम से सम्बंधित पढ़ने की सामग्री |
इस तरह प्रत्येक शिक्षक एक मासिक इकाई के बारे में निर्णय ले सकता है, साप्ताहिक विषयों में उप-विभाजित कर के और फिर दैनिक पाठ योजना लिख सकता है। इस प्रकार बैकवर्ड डिजाइन का अनुसरण करते हुए यूनिट के अंतिम लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सकता है l
संदर्भ:
https://www.actfl.org/resources/guiding-principles-language-learning/backward-design
https://www.edglossary.org/backward-design
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