डॉ. शारदा प्रसाद

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अपनी नागरी लिपि

हिंदी हो जन-जन की भाषा
हिंदी हो हर-मन की आशा!
बने सकल विश्व में सिरमौर
ऐसी है सबकी अभिलाषा!!

सब मिलकर करें प्रयास
हर बोली का हो सम्मान!
सब सीखें दक्षिण की भाषा
उत्तर-दक्षिण मिल बने
दिनमान!!

नागरी है वैज्ञानिक भाषा
जैसा बोलें पढ़ते हैं वैसा!
मन से मन की जोत जलाएं
दीपक और बाती के जैसा!!

विनोबा जी ने यह जोर दिया
नागरी ‘ही’ नहीं नागरी ‘भी’
नागरी हो पूरे देश में पर
कम न हो बोली की महत्ता
भी!!

गांधी जी ने ‘स्वराज’ हेतु
नागरी को ही अपनाया!
आजादी के संग्राम-यज्ञ में
हिंदी ही बस उनको भाया!!

हिंदी की प्राण-प्रतिष्ठा हेतु
भारतेंदु ने ‘निजभाषा’ का मंत्र
दिया!
रामचंद्र, हजारी, महावीर ने
हिंदी का पताका फहराया!!

‘नागरी नंदी’ दक्षिण में
सबकी बनी लाडली-प्यारी
गुजरात के नागर ब्राह्मणों ने
नाम दिया इसे ‘नागरी’!!

बज रहा डंका सकल विश्व में
हिंदी का हो रहा प्रचार-प्रसार!
अनगिन पत्र-पत्रिकाएं छपतीं
हो रहा विश्व में वाणिज्य-व्यापार!!

ऐसी अपनी लिपि नागरी
हम इसका सम्मान बढ़ाएं!
हर काम हमारा नागरी में हो
और देश का हम मान बढ़ाएं!!

विश्व-भाषा की डगर चल रही
राष्ट्रसंघ में इसे स्थान मिले
भारत की बने राष्ट्रभाषा यह
सभी बोलियों को भी मान मिले!!

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