ताना-बाना
रानी घर के काम निपटा कर बाज़ार की ओर का रुख ले चुकी थी। घर में एक भी सब्ज़ी नहीं थी। जल्दी से घर लौटकर उसे शाम के लिए खाना बना कर अपना सिलाई का काम जो करना था। ग्राहक देरी बर्दाश्त नहीं कर सकते और रानी भी पैसे के लिए ही सिलाई-कढ़ाई का काम करती थी।
रानी बाजार से थोड़ी ही दूर थी कि एक मोटरसाइकिल उसके पास आकर रुकी जिस पर दो लड़के सवार थे। पीछे बैठे लड़के ने रानी के मुँह पर एक रुमाल रखा, रानी ने अपनी कोहनी से धक्का दिया पर वो बेअसर रहा । दोनों लड़के हुष्ट-पुष्ट थे और रानी बिल्कुल पतली छढ़क, उनका मुकाबला नहीं कर पाई। पीछे बैठे लड़के ने रानी को अपनी ओर खींच कर दोनों के बीच में बैठा लिया । आगे वाले लड़के ने झट से अगले मोड़ से पास ही के गन्ने के खेत की ओर मोटरसाइकिल भगा ली। रानी के सब्ज़ी का थैला और पर्स उसके हाथ से वहीं गिर गए थे।
दो तीन मिनट में ही तीनों खेत में थे । रानी बेहोश सी और वो दोनों नशे में धुत्त। इसी नशे ने ही तो कुकर्म करवा बेहोश रानी के साथ दिनदहाड़े ज़बरदस्ती कर उसे ज़ख़्मी कर भाग गए। बिन सोचे-समझे किसी का भी जीवन बर्बाद कर देना क्या इतना ही आसन है, जितना आज चारों ओर लगे सी.सी.टी. वी.कमेरा में रेकॉर्ड हो जाना।
रानी अपना घर चलाने के लिए दूसरों के कपड़े सिल अपने जीवन का ताना-बाना सँवार रही थी पर आज दो बद दिमाग़ों के कारण कुछ मिनटों में उसका जीवन ही बिखर कर तार-तार हो चुका था !!