हिसाब ज़िंदगी के

बाद मुद्दत तू आया है मेरे आँगन में
कोई शिकवा नहीं जज़्बात की बातें कर लें

मैं तेरी हीर नहीं तू मेरा रांझा न रहा
बिकते और काँपते इंसान की बातें कर लें

तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम न था
इससे बढ़कर भी यहाँ जुल्मों सितम देखे हैं
इस उदासी का सबब तू नहीं मेरे रहबर
तेरी उल्फ़त के सिवा और भी कम देखे हैं
अपनी मायूस मोहब्बत की किताबें मत खोल
रंजिशें बेजा नहीं तसकीन की बातें कर लें

जश्न ए उल्फ़त में नहाती हुई मासूम कली
उनके मसले हुए दिल और बदन देखे हैं
उनकी बिकती हुई इस्मत के वो सौदे वाले
जिन के बुतखाने में सिजदे किये सर देखे हैं
हमने देखी है बहन माँ की और बेटी की झलक
उनके टूटे हुए ख़्वाबों की भी बातें कर लें

तल्ख़ियां जीस्त की तूने भी तो देखी होंगी
दिल को दहला दे वो खामोशियां देखी होंगी
मुफ़्लिसी ने जिन्हें घेरा था शिकारी की तरह
उन यतीमों की वो आहे भी तो देखी होंगी
उनकी मइयत पे वो रोती हुई बेवा की क़सम
आ ज़रा बैठ तो इख़्लास की बातें कर लें

जो तेरे हाथ मेरी माँग तक पहुँच सके
उन्हीं हाथों का मेरे दोस्त सहारा दे दे
जिसके आग़ोश में उल्फ़त के सिवा कुछ भी नहीं
उनकी उस डूबती कश्ती को किनारा दे दे
अपने खोये हुए ख़्वाबों से पशेमां हूँ नहीं
उनके टूटे हुए ख़्वाबों के भी बातें कर लें

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-शैलजा चतुर्वेदी

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