ख्यालों में गुम
जब कभी उड़ती है
तनहाइयों की धूल
तब ले आती है
पवन यादों की बारिश
जैसे कई लहरें,
उछलती, गिरती, बैठती
सूने तट को बहलाती
या
कोई निराश आवाज़
घूमती, गुनगुनाती
किसी टूटे साज़ को धड़काती
वैसे ही
उनकी याद
मचलती, इठलाती
मेरे मन की
तरंगों से आ टकराती
जैसे कई फूलों की खुशबू
उड़ती, बिखरती
आंगन को महका देती
या
सुबह की चंचल हवाएं
थरथराती, संसनाती
हर डाल को लरज़ा देती
वैसे ही
उनकी याद
ठुनकाती, ठुमकाती
मेरे उदास पलों पर
आ बसतीं
जैसे
कई सूखे पत्ते
खड़खड़ाते, लढ़काते
फुलवाड़ी से बाहर
धूल में गिर जाते
या
कई तारे
टूटते, बिखरते
रोशनी झाड़ते
घाटियों में गिरते
अंधकार में मिल जाते
वैसे ही
उन की याद
मेरे मन की
सागर में उफलाती
जैसे
कहीं बिन घी का बाती
सुलगता और बुझ जाता
या
किसी, पायल की झंकार
झनकती, खनकती
ठोकरे खाती
वैसे ही
उन की याद
मेरे सूने पल की
गली में उभर जाती
फिर
सिमटती शर्माती
कुछ खाली लम्हों के बाद
मेरे ख्यालों में गुम हो जाती
*****
-सुभाषिनी लता कुमार