अनर्थ

तिनका तिनका मन चुगे
मन का मिले ना मीत।
मन का मीत जो मिले
सो मन से बाँधे प्रीत।
कलियुग ऐसा आ धरा
सीता संग ना लाये।

कहीं ओर जा कर प्रिय
कुलटा को घर लाये।

मनका मनका रम रहा
रामा से हो प्रीत।

ऐसी विधि सुधारिए
तृष्णा से जाएँ जीत।

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-मधु खन्ना

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