श्रृंखला
श्रृंखला किस की गिनूँ
मैं देश पर आघात की
नारी पर अत्याचार की
फैले हुये व्यभिचार की
श्रृंखला किस की गिनूँ
निवस्त्र होती नार की
मनुष्य के विकार की
निर्धन पर अत्याचार की
श्रृंखला किस की गिनूँ
गिरते हुये सँस्कार की
मदिरा से लिप्त व्यवहार की
मादकता में डूबे, हुये संसार की
श्रृंखला किस की गिनूँ
कटुता से गहरी धार की
कलुषित हुये व्यापार की
विकृत हुये आकार की
श्रृंखला किस की गिनूँ।
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-मधु खन्ना