कैसे भूला जा सकता है
कैसे भूला जा सकता हैII
भारत माँ का अनोखा प्यार
माँ के बच्चे थे बड़े मिलनसार
ढूँढ़ता हुआ हिंदी ज्ञान का सागर
ज्ञान के साथ ही पाया अपार
ख़ुशी से भरा प्यारा-सा संसार
कैसे भूला जा सकता हैII
आगरा का ताजमहल दिल्ली का लाल किला
राजस्थान, केरला, कानपुर, भी बड़ा निराला
हरिद्वार में बहती गंगा की शीतल धारा मिला
ऋषिकेश का राम झुला, लक्ष्मण झुला
बुद्धगया में भगवान बुद्ध का स्मरण मिला
कैसे भूला जा सकता हैII
लड्डू, बर्फी, जलेबी, रसगुल्ले
सडकों पर गरमा गरम पकौड़े
कचौड़ी, पाँव-भाजी, चाट के चहीते
पेट पूजा करते गली-गली खड़े-खड़े
मुँह में आता पानी जब ये सब याद आते
कैसे भूला जा सकता हैII
रावण की आँखों जैसे बड़े आँवले
ठेलों पर रखे आम थे पीले-पीले
अँगूर के गुच्छे भी बड़े रसीले
मौसमी के, अनार के, गन्ने के जूस निराले
गर्मियों में जान थे तरबूज के हवाले
कैसे भूला जा सकता हैII
नीम के नीचे भी गर्मी भरी दुपहरी को
सर्दी में ठिठुरते हुए बिताए रातों को
भारत की मिट्टी को, गलियों को, गाँवों को
वहाँ के झोंपड़ियों को, बड़े से बड़े महलों को
सुनहरे चेहेरेवाले लोगों को, थके-मांदे दुगियों को
कैसे भुला जा सकता हैII
दूर-दूर तक दिखने वाले खेतों की हरियाली
गन्ने के खेतों के किये हमें मतवाली
पीले-पीले सरसों के फूलों की फुलवारी
हवा में तिरखती गेहूँ की बालियाँ सुनहरी
प्रकृति ने कर दिया दिलों को मोहकारी
कैसे भूला जा सकता हैII
लगता है भारत माँ से नाता बहुत बड़ा पुराना
यह बंधन तो कभी नहीं तोड़ा जा सकता
भारत माँ, ओ भारत माँ करती हूँ यह कामना
अगले जनम में बन जाऊं तेरे ही बिटिया
तब तक रहूँ तेरी याद में सदा सदा
कैसे भूला जा सकता हैII
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-अतिला कोतलावल