बरसात का मौसम

चलो साथियों चले बाहर
घर में भला क्या रखा है
बादल गरजती, बिजली चमकती
मूसलाधार बरखा हो रहा है

रह रह कर झोंके की हवा चल रही
मग्न हो झूम उठी डाली डाली
देख ऊपर काली घटा घिरी है
और नीचे फैली है हरियाली

रंग बिरंगी छतरी लेकर
बाहर निकलते हर प्राणी
बरसाती पहन खुश होते बच्चे
पानी में खेलने को है ठानी

भीग रहे है खेत,बाग और वन
भीग रही है घर आँगन
बाहर चलें यार भीगे हम भी
यही चाह रह है मेरा मन

बरसात में खेले, बच्चे बन जाये
कागज की नाव चलाए छींटे मारे सभी पर
एक बार फिर बचपन को ताजा करें
चलो साथियों मेरे साथ जोड़ रहीं हूँ अपना कर

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-शोभना लक्ष्मी देवी

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