जिंदगी का सफर

जो छूट रह है उसका क्या अफ़सोस करें हम
जो हासिल हो रहा है, उसी से सवाल करें हम

बहुत दूर तक जाते हैं, यादों के काफ़िले
बेकार क्यों पुरानी यादों में सुबह से शाम हम करें

माना कमी महसूस होगी जिंदगी बढ़ती जाएगी
सही मार्ग को अपनाकर चल, उम्र यूं ही ढल जाएगी

मिल ही जाएगा जीने का कोई बहाना
तू अकेला नहीं है मुसाफिर, राह में हमसफ़र भी आएगा

सफर में कई मुश्किलें आएगी, मुकाबलों का होगा सामना
डट कर करना है सामना, सीख कोई दे जाएगा

लोग मिलकर बिछड़ते, यादों का होगा बसेरा
मत भूल बन्दे एक शाम के बाद आएगा नया सवेरा

इस दिवाली के अवसर पर तो याद आते हैं अपने
पर क्या अफसोस करे कि मिल गए गैरों में अपने

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-शोभना लक्ष्मी देवी


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