
शब्द एक रास्ता है
शब्द एक रास्ता है
मेरा विश्वास है
यह सोचकर मैंने उसे पुकारा
पर उधर से कोई उत्तर नहीं मिला।
मैंने फिर सोचा
शब्द एक रास्ता है
और शब्दों को कागज पर उतार कर
एक जहाज बनाया
उसे उड़ा दिया
तुम्हारे मनदेश में
पर पता नहीं कहाँ लैंड किया वह।
मैंने फिर दोहराया
शब्द एक रास्ता है
फिर से उसे कागज पर उतारा
और भावनाओं के सागर में उतार कर कश्ती बना कर छोड़ दिया
घूमता रहा वह
न जाने कौन-कौन कौन से द्वीप।
पर मेरा विश्वास टूटा नहीं
मैंने शब्दों को प्राथनाओं में पिरोया
समर्पण से उसका अभिषेक किया
अब वे मंत्र बन गए।
देखो चट्टान से झरना फूटा
बन गया सागर पर पुल
मैंने कहा था ना
शब्द एक रास्ता है।
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-अनिल जोशी