श्रद्धांजलि – एक खिलौना कर रहा, बिकने से इंकार : डॉ सीतेश आलोक
सीतेश आलोक अनिल जोशी गली- गली में शोर है, सहमे हैं बाज़ार एक खिलौना कर रहा, बिकने से इंकार – सीतेश आलोक हम सब माटी के खिलौने हैं। बहुत से…
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सीतेश आलोक अनिल जोशी गली- गली में शोर है, सहमे हैं बाज़ार एक खिलौना कर रहा, बिकने से इंकार – सीतेश आलोक हम सब माटी के खिलौने हैं। बहुत से…
मेरी भोपाल यात्रा – अनिल जोशी भारतीय भाषा मंच की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के सिलसिले में 15 जून को भोपाल, पीपल्स इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज जाना हुआ। बैठक में…
अपने आप से एक मुलाकात – अनिल जोशी मेरा जन्म दिल्ली में हुआ। हमारी परवरिश पुरानी दिल्ली में हुई। पुरानी दिल्ली की तहज़ीब, तौर-तरीके, स्वाद की मिठास हमारे व्यक्तित्व का…
– अनिल जोशी *** 1. माँ के हाथ का खाना बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती है तुम्हारी मां,कहा एक मित्र ने, पूछ कर आना उनसे,कौन से मसाले डालती हैं वो,हँस पड़ी…
‘कोरोना-चिल्ला’ कहानी-संग्रह – अनिल जोशी प्रवासी साहित्य में एक सशक्त भूमिका निबाह रही दिव्या माथुर का नवीनतम कहानी संग्रह, कोरोना-चिल्ला, केन्द्रीय हिंदी संस्थान-आगरा की पुस्तक प्रकाशन परियोजना के तहत प्रकाशित…
शिव विरोधाभासी प्रतीकों के परे हैं – अनिल जोशी मेरा भी पहला संपर्क शिव से रामकथा के माध्यम से आया आता है। रामकथा में हम पाते हैं कि रावण पर…
लोग सो रहे हैं या साजिशें कर रहे हैं एक बार फिरमेरे गाँव मेंफसलों के मौसम मेंबच्चे उग आए हैंऔर मैंकलम थामे तैयार हूँकविता करने के लिए। यहाँ-वहाँ लोगया तो…
बौनों की बारात झूम-झूम कर नाच रही, छायाएँ आधी रातधूम धाम से निकल रही है, बौनों की बारात सोच भी बौनी, कर्म भी बौना, मन का हर कोना है घिनौनाजो…
शब्द एक रास्ता है शब्द एक रास्ता हैमेरा विश्वास हैयह सोचकर मैंने उसे पुकारापर उधर से कोई उत्तर नहीं मिला। मैंने फिर सोचाशब्द एक रास्ता हैऔर शब्दों को कागज पर…
जीवन एक अहर्निश यात्रा : दिव्या माथुर -अनिल जोशीanilhindi@gmail.com दिव्या जी वास्तविक अर्थों में एक वैश्विक प्राणी हैं। पिछले कुछ महीनों में लंदन- दिल्ली, मुंबई, मारिशस, लंदन और अब सिंगापुर…