ये कमाल हमें करना है…

समय कठिन है फिर भी हमें
हंसते-गाते रहना है,
हो धारा चाहे जितनी उल्टी
दरिया-सागर तरना है,
लिये हाथ में प्रेम पताका
आसमान तक चलना है
ये कमाल हमें करना है,
नहीं चाहिये स्वर्ग का कोना
नहीं फूलों की सेज पे सोना
छण भर का भी साथ रहे तो
उसी मौज में मन ख़ुश होना,
रिक्त हुये इस ह्रदय पात्र को
प्रेम सुधा से भरना है
ये कमाल हमें करना है,

ख़्वाब सुहाने फिर बुनने हैं
मित्र नये भी कुछ चुनने हैं
वक़्त की धारा में जो बह गये
गीत पुराने फिर सुनने हैं,
क़िस्मत की लकीरों में अब
रंग नया इक भरना है
ये कमाल हमें करना है,

नवजीवन के पावन जल से
प्यास बुझानी हमने है
दुखियारों की पीर हरन को
इक आस जगानी हमने है,
सत्य-झूठ के छोड़ के झगड़े
अमृत मंथन करना है
ये कमाल हमें करना है

चेहरे पे नई रंगत लानी है
जीवन की हर रीत सुहानी है
बीत गया जो रब का शुकराना
आगे भी प्रीत निभानी है
इक गांठ बांध लो मन मे यारो तुम
हर पल इश्क़ बराबर करना है
ये कमाल हमें करना है
ये कमाल हमें करना है…

*****

-निर्मल सिद्धू

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »