ना हो उदास, ना हो निराश

प्रश्न रह गए, गायब उत्तर
भाग चला लंपट, छूमंतर
बिखर गई थोथी भावुकता
भीतर थी केवल कामुकता
ऐसा कर कुछ, समेट अपने
दर्द के धागे, चले तलाश
ना हो उदास, ना हो निराश

क्रंदन छोड़ जुटा ले हिम्मत
हिम्मत की होती है कीमत
कड़वाहट हथियार बन जाय
धैर्य धूर्तता से टकराय
दे दे चक्कर, बुन नागपाश
ना हो उदास, ना हो निराश

लूटे गहने, ठगिया तो क्या
छोड़ भँवर में भागे तो क्या
बुद्धि की शक्ति, क्या न उबारा
इंटरनेट मय जग सारा
पद चिन्ह मिले व पर्दाफाश
ना हो उदास, ना हो निराश

जीवन में जितनी हैं दृष्टि
सुख दुख भरी अनेकों सृष्टि
हौसला जय-विजय को खींचे
आँसू बीज दरद के सींचे
औरों का गम देख ले काश
ना हो उदास, ना हो निराश

आतम देख, गीत गाएगा
शरीर में तू क्या पाएगा?
आधा बटेर, आधा तीतर
देवालय है मन के भीतर
जग-कैसीनो में क्या ढूँढे
बिखरे पत्ते, उड़ गई ताश
ना हो उदास, ना हो निराश

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– हरिहर झा

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