हाँ, मेरे कई मन हैं!

मन एक बहु आयमी पटल है। मेरे विचार से विश्व का अस्तित्व मात्र मन है, मन है तो विश्व है। यह आशाओं, आकांक्षाओं, संभावनाओं, प्रतिरोध, स्नेह, भाव, अभाव, प्रभाव, क्रोध और न जाने क्या-क्या भाव से मिल कर बना है - प्रस्तुत है मन के द्वारा मन की परिभाषा - हाँ, मेरे कई मन हैं

कुछ रंग मधुर परिहास भरे,
कुछ नवल-रस और राग भरे,
कुछ नव चेतन उल्लास भरे।
कुछ रीत भरे मनमीत भरे,
कुछ गीत भरे संगीत भरे
हाँ, मेरे कई मन हैं!

कुछ सरल, कोमल पावन से,
कुछ विमल, निष्पाप विरल से,
कुछ सजग सचेत बुद्ध से,
कुछ विकट, विस्मित भौचक्के से,
कुछ कुंठित गहरे कूप से,

हाँ, मेरे कई मन हैं!
कुछ स्वछंद पवन में उड़ते,
कुछ पर्वतों पर विछन्द विचरते,
कुछ सागर में खाते गोते,
कुछ सघन वनों में टहलते,
कुछ अनन्त आकाश में बसते।
हाँ, मेरे कई मन हैं!

कुछ दयावान मीठे से
कुछ निष्ठुर बहुत, खट्टे से
कुछ कठोर लवण समान,
कुछ असुर दानव से कड़वे
हाँ, मेरे कई मन हैं।

कुछ उछलते, कुछ मचलते,
कुछ विचरते, कुछ सँभलते,

कुछ भटकते।
हाँ, मेरे कई मन हैं!
कुछ एकाकी मगन स्वयं में,
कुछ मित्रों के आरण्यक में,
कुछ सखियों संग,उपवन में,
कुछ साथ पंछियों के गगन में,
कुछ डोलते पग-पग वन में।
हाँ, मेरे, कई मन है!

कुछ धारा पर आसन मारे,
कुछ जल में डूबे बहते से,
कुछ ज्वाला में प्रज्वलित सारे,
कुछ वायु में चलायमान,
और कुछ आकाश में विलीन से।
हाँ, मेरे, कई मन हैं!

कुछ चर, चलायमान चंद्र से

कुछ स्थिर ध्रुव तारे से
कुछ निश्चल, धारा के भाँति
कुछ प्राणहीन केतु के तुल्य
और कुछ विस्तृत सूर्य समान है
हाँ मेरे कई मन हैं।
कुछ मंथन में,
कुछ चिंतन में,
कुछ उन्मानि से,
कुछ ओजस में,
कुछ तूरिय में।
हाँ मेरे कई मन हैं।
कुछ मछली से तैरते,
कुछ पंछी जैसे उड़ते,
कुछ सरपट घोड़ों से दौड़ते,
और कुछ कछुए से रेंगते,
कुछ सुस्त घोंघे से सरकते।
हाँ, मेरे, कई मन हैं।
कुछ निराश, कुछ आशावान,
कुछ विरक्त, कुछ दुविधाग्रस्त,
और कुछ सशक्त से।
हाँ, मेरे कई मन हैं।
कुछ धर्मी, कुछ विधर्मी,
कुछ मोही से, कुछ त्यागी से
और कुछ लोभी भी।
हाँ, मेरे कई मन हैं।

कुछ थके हुए, कुछ ऊर्जावान,
कुछ निस्तेज, कुछ प्रफुल्लित से,
कुछ उदास से।
हाँ, हाँ, हाँ …..हाँ मेरे कई मन हैं!

कुछ सरल से, कुछ जटिल से,
कुछ असमंजस में,
कुछ ज्ञानवान अत्यधिक,
कुछ निपट मूर्ख अज्ञान।
हाँ, मेरे, कई मन हैं!

कुछ रंग मधुर परिहास भरे,
कुछ नवल-रस और राग भरे,
कुछ नव चेतन उल्लास भरे।
कुछ रीत भरे मनमीत भरे
कुछ गीत भरे संगीत भरे
मेरे कई मन हैं,
हाँ, मेरे, कई मन हैं,
हाँ , हाँ, मेरे कई मन हैं।

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– हर्ष वर्धन गोयल (सिंगापुर)

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