
निशब्द
तुमने
बड़ी ख़ामोशी से कहा
मेरे भीतर
चिल्लाते, शोर मचाते
मन को
और चिल्लाओ
और शोर मचाओ
थोड़ा और ज़ोर से
और तब तक यूँ ही चिल्लाते रहो
जब तक
तुम्हारे अंतर्मन के पर्दे तुम्हारे मन की
झुँझलाहट से
ये नहीं कहते
की बस,
अब ख़ामोश हो जाओ
और सुनो
तुम्हारे भीतर ही भीतर
गूँजते
उस उस अनादिस्वर को
जो बड़ी ही ख़ामोशी से चुपचाप
इस ब्रह्माण्ड से
तुम्हारे मन के भीतर
समाया है
और वही ख़ामोशी
जैसे तुमसे कह रही है
बस चुपचाप से सुनो ख़ामोशी से
मेरे शब्द
और निशब्द
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– पंकज शर्मा