
भुवनेश्वरी पांडे की हाइकु
1.
कैसा नगर
कोई ना पहचाने
हम घूमते
2.
केवल मकाँ
बीच कोई सड़क
बैठोगे कहाँ?
3.
अकेला पत्ता
लहराता रहा है
शीत ऋतु में।
4.
थोड़ी सी छाँव
तेरी नीली छतरी,
हमें भी दे दे।
5.
काले बादल
सलोना तू साजन
गोरी गुइयाँ!
6.
तुम ही तुम
अम्बर से धरती
मैं रहूँ कहाँ।
7.
वो जुदा हुए
अपने ही मौन से
किसका दोष?
8.
घर -आँगन
आशा-अभिलाषाएँ
पधारें श्याम!
9.
आ मेरे बच्चे
अंक में भर लूँ
पूरी हो लूँ!
10.
अँगड़ाई सी
लेती बर्फ़ीली हवा
मन की बात!
*** *** ***
– भुवनेश्वरी पांडे