मेरी आशाओं का देश

मेरा स्वदेश वो धरती हो,
जहाँ सत्यमेव जयते सच हो

हर वृक्ष जहाँ की थाती हो,
जिसमें हर पशु की गिनती हो
जिसमें हर मानव,
मानव हो, साकार
सत्य शिव सुन्दर हो
मेरा . . . जहाँ . . .

माँ बहिने रक्षित हों जिसमें,
बच्चों पर अत्याचार न हो
श्री मात-पिता पूजे जायें और,
राम-राज्य फिर संभव हो
मेरा . . . जहाँ . . .

परस्पर प्रेम-अहिंसा हो,
एजेंट न धर्म कोई बदले
अभियान घृणा के मर जाएँ,
वसुधैव कुटुंब सत्य में हो
मेरा . . . जहाँ . . .

छल बैर कपट का नाम न हो,
आपस में भाई-चारा हो
उपदेश सुनाने गीता का,
फिर कृष्ण जन्म धरती पर हो
मेरा . . . जहाँ . . .

सीधे-सच्चे मेहनत वाले,
सुख-चैन सहित जी सकतें हों
जिसकी धरती सोना उगले,
जहाँ दूध की नदियाँ बहती हों
मेरा . . . जहाँ . . .

सज्जन को आदर-मान मिले,
दुर्जन को भरसक दंड मिले
जहाँ न्यायोचित अनुशासन हो,
दूधका दूध पानी का पानी हो
मेरा . . . जहाँ . . .

विघटनकारी और आतंकी,
नंगे-भूखे जेलों में हों
जिसकी अखंडता अमर रहे,
जिसका कोई बाल न बाँका हो
मेरा . . . जहाँ . . .

जहाँ वैभव और समृद्धि तो हो,
पर भ्रष्टाचार नाम को भी न हो
जहाँ प्रजातंत्र और चुनाव हो,
पर दंगा और हिंसा ना हो
मेरा . . . जहाँ . . .

जिसमें उन्नत मस्तक सबके,
निःस्वार्थ भाव सत्कर्मों से
मन वाचा कर्म यही लय हो,
मेरे स्वदेश तेरी जय हो
मेरा . . . जहाँ . . .

*****

– राज माहेश्वरी

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