
शब्दकोष
शब्दकोष वह अद्बभुत था, ‘युद्ध’ शब्द उसमें न था
‘शत्रु’ का था न अता-पता, ‘बारूद’ बेचारा क्या करता
’घृणा’ न थी न ‘द्वेष’ वहाँ, ‘आहें’ थीं न ‘बीमारी’
न ‘आँसू’ थे न ‘शोक’ वहाँ, न ‘मृत्यु’ न ‘गोलाबारी’
’बंजर’ शब्द का अर्थ वहाँ था, ‘सरसों के जैसा पीला’
’पतझड़’ था ‘बसंत’ वहाँ और ‘मरुस्थल’ था ‘नीला’
‘झूठ’ वहाँ था ‘जिज्ञासा’, ‘आलस्य’ वहाँ था ‘फ़ुर्तीला’
था ‘रोना’ मुस्कान वहाँ और ‘बेसुर’ था ‘एक गीत सुरीला
‘विनम्र, परिष्कृत, सदय’ तो थे, किंतु न थे ‘नैराश्य, हताशा’
थे ‘रामराज्य शुभ मंगलमय, सम्मान स्नेह, गौरव, मर्यादा’
शब्दकोष सीने पर रख, मीठे सपनों में व्यर्थ बही
सुबह आज जब मैं जागती काश कि रहते अर्थ वही!
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– दिव्या माथुर
* (हा जीवन हा मृत्यु संग्रह से)