समय का प्रबल चक्र

यह प्रबल समय का चक्र चला
जो चुप करके सह जाना होगा।

नियति के क़दम किस तरफ़ चले
ख़ुद न समझे तो समझाना होगा
सचमुच जीवन है एक पहेली
जिसे जीवन भर सुलझाना होगा।

उतार-चढ़ाव तो आते हैं आएँगे
परंतु यह एक अजब अफ़साना होगा
नया जीवन, नई राहें, नई बस्तियाँ
पर दिल का हाल पुराना होगा।

कल आज और कल के भीतर
उलझनों का ताना-बाना होगा
कभी इस पार कभी उस पार
झूले की तरह झूल जाना होगा।

कभी पतझड़, कभी बहार
कभी गर्मी, कभी सर्दी का ज़ोर दीवाना होगा
ख़ुशियों के फूल मिले या ग़म के शूल
तुझे दिल का साज़ सजाना होगा।

सुख-दु:ख की सुंदर बगिया में
कुछ खोना, कुछ पाना होगा
मिलने की ख़ुशी न मिलने का ग़म

कर्मों का एक बहाना होगा।
यह प्रबल समय का चक्र है ’जौहर’
जिसके आगे झुक जाना होगा
यह प्रबल समय का चक्र चला
जो चुप करके सह जाना होगा॥

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– सरोजिनी जौहर

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