
उपसर्ग और शब्द
हम भगतसिंह हैं, आज़ाद हैं
हम करोड़ों नहीं
दस बीस होते है
माना कि हम कटे हुए शीश होते हैं
हम कौम के लिए उत्सर्ग होते हैं
हम शब्द नहीं, उपसर्ग होते हैं।
शब्द वे हैं
जो अर्थ का घरौंदा बसाते हैं
कभी कभी दो-तीन घर बनाते हैं
पर हम संन्यासी हैं
एक नहीं
हज़ारों घर बनाते हैं
किसी एक के नहीं कहलाते हैं
जी हाँ,
हम उपसर्ग कहलाते हैं।
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– डॉ. अशोक बत्रा