(समाज सुधारक और देश में नारी को शिक्षा देने के लिए पहला स्कूल पुणे में खोलने वाले ज्योतिबा फुले पर लिखी गयी मराठी कविता का हिंदी अनुवाद)

ज्योतिबा धन्यवाद

ज्योतिबा
धन्यवाद।
आप उसे
दहलीज के
बाहर ले आये,
क ख ग घ
त थ द ध
पढ़ाया
और
कितना बदलाव आया है,
अब उसे
दस्तख़त के लिए
बायी अंगुली पर
स्याही लगानी नहीं पड़ती,
अब वह स्वयं
लिख सकती है ………
मिटटी का तेल स्वयं पर
छिड़कने से पहले
(उसके पीछे रहनेवाले बच्चों को ध्यान में रखकर)
“मैं अपनी मर्जी से
जल कर ख़ाक हो रही हूँ”

*****

मराठी कवि – अशोक नायगांवकर


हिंदी अनुवाद- विजय नगरकर

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