Category: ललित निबंध

‘पुनरपि जन्मम्, पुनरपि मरणम्, पुनरपि जननी जठरे शयनम्’ – (ललित निबंध)

इस रास्ते पर सप्ताह में चार दिन जाते हुए लगभग आठ साल। रास्ता मानो रट-सा गया है। घर से निकलने पर आधे मील के बाद बाँयी तरफ मुड़ने पर एक…

बोलिए सुरीली बोलियाँ…      (ललित निबंध)        

संगीत की अनौपचारिक महफ़िल में बैठी हूँ। महफ़िल अनौपचारिक अवश्य है लेकिन महफ़िल संगीत के बड़े जानकारों की है। बड़े उस्ताद हैं तो छोटे उस्ताद भी, और निष्ठावान शागिर्द भी,…

आधी रात का चिंतन – (ललित निबंध)

‘सर’ के यहाँ घुसते ही लगा कि शायद घर पर कुछ भूल आई हूँ। लेकिन समझ में नहीं आया। अरे, आप सोच रहे होंगे, ये ‘सर’ कौन हैं? तो बताऊँ…

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