Category: कीर्ति चौधरी

मुझे फिर से लुभाया – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन मुझे फिर से लुभाया खुले हुए आसमान के छोटे से टुकड़े नेमुझे फिर से लुभाया।अरे! मेरे इस कातर भूले हुए मन कोमोहने,कोई और नहीं आया।उसी खुले…

वक्त – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन वक्त यह कैसा वक्त हैकि किसी को कड़ी बात कहोतो वह बुरा नहीं मानता। जैसे घृणा और प्यार के जो नियम हैंउन्हें कोई नहीं जानता खूब…

देश मेरा – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन देश मेरा देश मेरा हो गया हैसमृद्ध और वैभवशालीदैनिक जरूरतों में शामिल हैफ्रिज, टेलिविजन और मोटरगाड़ी एक दौड़ जिसे निबटा लिया हैबहुतों नेबाकी बस पहुंचने वाले…

लिखना-दिखना – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन लिखना-दिखना जो लिखता था,वैसा ही तो मैं दिखता था। अभी पुरानी नहीं हुई यह बातधूप धूप थीरंग रंग थेसही नाम हर एक चीज काफूल अगर कागज…

कंगाली – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन कंगाली शब्द पहले ही कम थेऔर मुश्किल से मिलते थेदुख-सुख की बात करने कोअब जैसेएक कंगाली सी छा गई है क्या इशारों में हम करें बातेंसर…

हर ओर जिधर देखो – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन हर ओर जिधर देखो हर ओर जिधर देखोरोशनी दिखाई देती हैअनगिन रूपों रंगों वालीमैं किसको अपना ध्रुव मानूंकिससे अपना पथ पहचानूं अंधियारे में तो एक किरन…

कीर्ति चौधरी – (परिचय)

कीर्ति चौधरी कीर्ति चौधरी जी का जन्म सन् 1934 में नईमपुर, उन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी मां श्रीमती सुमित्रा कुमारी सिन्हा हिन्दी की प्रमुख कवयित्री थीं। अतः उनका…

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