गीत मधुर कोई गाती हो
गीत मधुर कोई गाती हो,
जब छम से तुम आ जाती हो।
मन के सूने घर आँगन में,
खुशिओं के फूल खिलाती हो।
झाँझर बाजे रुनझुन रुनझुन,
कारे नैनो का तीखापन।
नैनो से वाण चलाती हो,
जब छम से तुम आ जाती हो।
नदिया हो तुम बहकी बहकी,
यौवन से तुम लहकी लहकी।
दीवाना मुझे बनाती हो,
जब छन से तुम आ जाती हो।
तन रेशम है मन चंदन सा,
माथे पर पावन बंदन सा।
पावन पावन कर जाती हो,
जब छम से तुम आ जाती हो।
मोहक मादक मृगनयनी सी,
अदभुत अनुपम तुम अवनी भी।
चाहत के फूल खिलाती हो,
जब छन से तुम आ जाती हो।
पावन जैसे हो गंगाजल,
न कपट है ना ही कोई छल।
जीवन का पाठ पढ़ाती हो,
जब छम से तुम आ जाती हो
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-डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना