गांधी के सपनों का भारत, आ निकला है किस ये पथ पर

उम्र जवां है, उमड़ा यौवन, दिल मे लेकिन चुभता नश्तर।।
बोस, आजाद, बिस्मिल, जैसे थे मणि के हीरे।
चमक रहे थे, विश्व-पटल पर, सबकी आँखों को चीरे।।
नानक, गांधी, गुरुदेव, बात इनकी कुछ और ही है।
इनके किये हुए कृत्यों पर, नाज़ देश को अब भी है।।
बदल गया है अब तो सब कुछ, अब तो हैं चोगाधारी।
मुँह मे श्याम, कथन में राम, बगल में लेकिन है आरी।।
पहन के चोगा अंधभक्ति का, राम को करते हैं बदनाम।
न कहा जा सके, न ही सुना जा सके- करते हैं ये ऐसा काम।।
बचके रहना इन सर्पों से, बच्चे अपने खाते हैं।
औरों की तो बात छोड़ दो, रंगरेलियां बेटी संग मनाते हैं।।
एक नहीं है, झुंड में हैं ये, करते जीवन को दूषित।
नाना भाँति के चेहरे इनके, नाना कपड़ों से भूषित।।
देश निकाला दे दो इनको, कर दो इनका काम तमाम।
कर ना सके फिर हिम्मत कोई, देश को करने की बदनाम।।

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-सूर्य प्रताप सिंह

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