किस किस को ले डूबा पानी
किस किस को ले डूबा पानी
पानी आख़िर निकला पानी
ऐसे कब बरसा था पहले
अब के बरसा इतना पानी
कच्चे घरों पर क्यूँ बरसा था
पागल अंधा बहरा पानी
आग लगी थी सहरा सहरा
दरिया दरिया बरसा पानी
बीच समंदर एक जज़ीरा
ले डूबेगा चढ़ता पानी
प्यासे थे पर कब माँगा था
अपने सर से ऊँचा पानी
तेरा कुआँ सैलाब ज़दा था
मेरे कुएँ का सूखा पानी
बुझ न सकी जब प्यास किसी की
पानी पानी हो गया पानी
सात समंदर सोच रहे थे
कैसे बेचें खारा पानी
इक दिन ऐसा भी आएगा
ख़ून से महँगा होगा पानी
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-अखिल भंडारी