
क्षणिकाएँ
1.
ढलते सूरज का गुलाबी दुपट्टा
सफ़ेद बर्च से लिपटा लिपटा
सजीला ओक उन्हें देख मुसकाए
गुलाबी गुलाबी ख़ुद भी हो जाए
2.
जैसे रूई के बादल से
यत्र तत्र छि तरे-छितरे
स्नो फ़्लेक पवन संग खेलें
धरती पे बिखरे-बिखरे
3.
मंत्रमुग्ध करने वाली
पंक्तावली क्रिस्मस की
मतवाली, दिल लुभाए,
स्वरूप देख ज्यों टिम-टिम शर्माए
4.
शाम से आईने की चमकवाली
बिछती जाएँ परतें बर्फ़ की
सुबह के सूरज की किरणों में अलसाएँ
फिसलती-पिघलती ओझल हो जाएँ
5.
सरसराती पवन मुझे घेरे
पाइन जूनीपर स्प्रूस सीडर फ़र सुगन्धि उँडेलें
चौंधियाती स्नो डाल-डाल पर जैसे हँसी बिखेरे
6.
लाल लोमड़ी रास्ता काट निकल जाए
हिरणों की टोली उसे देख सकपकाए
7.
कपास से हलके बादल अम्बर चूम चूम आएँ
धुँधली धूप सी साँसें
कंपकंपाते हाथों में गरमाहट लाएँ
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– मधु भार्गव