
निखिल कौशिक की कविताएँ
1-
सुख है जीवन
दुख है जीवन
तू हैं जीवन
मैं हूँ जीवन
कहाँ है जीवन
यहाँ है जीवन
वहाँ है जीवन
रहने दे इसको
यहीं है जीवन
2-
मेरी आवाज
मेरी जेब से आती है
भरी होती है जब जेब
तो दूर तक सुनाई देती है
और जब होती है खाली
तो मुझे खुद भी नहीं सुनाई पड़ती
हैं
जी
क्या कहा आपने!
3-
पानी अगर नहीं होता
तो बर्फ भी नहीं होती
बर्फ़ नहीं होती
तो फिसलन भी नहीं होती
मैं आकाश में होता
या धरती पर
न पानी- न बर्फ- न फिसलन
सोचो तब क्या होता!
4-
अच्छी लगती हैं ये तस्वीर
क्यों की अच्छी है
जिसकी है वो भी क्या अच्छी होगी
सोचता हूँ, फिर सोचता हूँ
तस्वीर अच्छी है
वो भी अच्छी ही होगी
जिसकी है
बस यही नहीं पता
कि किसकी है
तस्वीर अच्छी है
इतना लगना ही काफ़ी है
होना या न होना बेमानी है
तस्वीर का अच्छा लगना ही काफ़ी है
आज के युग में
सच में होना या न होना बेमानी है
5-
दुनिया अपने आप नहीं बनती
कोई इसे बनाता है
नहीं बनाती है
वो होती है एक माँ
जो अपने बालक को गोदी मे उठा
घास पर चलती है
रौंदती है घास
और बना देती है एक पगडंडी
फिर वो लौटती है
और देखती है
पगडंडी की जगह
बनी हुई एक सड़क
और सड़क के दूसरी और दिख रहा है एक शहर
जिसे औरगज़ेब ने बसाया था
और हमे याद रखना चाहिए
औरंगजेब
अपनी मा का हाथ थामे
एक पगडंडी से आया था!
6-
ये कविता है
शायद मेरी कविता है
जो भी है
है तो ये एक कविता ही
और कविता हमेशा कुछ न कुछ कहती है
तो आओ
इस कविता से पूछें
ये क्या कहना चाहती है
कुछ नहीं
कुछ भी तो नहीं
चुप रहती है
और मुसकुराती है
कविता सब कुछ कह जाती है!
7-
पंछी ही नहीं
शब्द भी होते हैं पंछी की तरह
न जाने कहाँ से आते हैं
मन की मुंडेर पर बैठ फड़फड़ाते हैं
क़लम जाल जब तक क़ैद करे उन्हें
उड़ जाते हैं
फिर कभी लौट आते हैं
कभी लौट नहीं पाते हैं!
8-
तुम्हारे नाम:
जब मैं मर जाऊँ तब तुम मुझसे मिलने आना
अभी तो मैं ज़िंदा हूँ
अचानक मुझसे मिलने आ जाओगे तो
पूछूँगा
कैसे आना हुआ
तब तुम क्या कहोगे
बस ऐसे ही तुम्हारी खैर खबर लेने चला आया
गुलज़ार ने कहा था दोस्तों से मिलते रहना
पर गुलज़ार की अब कौन सुनता है
मैं सोचूँगा ज़रूर कुछ बात होगी
वरना बिना बात कौन किसी से मिलने आता है
हो सकता है तुम मुझसे उधार मांगने आए हो
या मुझे वो लौटने आए हो जिसे मैं देकर भूल चुका हूँ
खैर अब या ही गए हो तो चलो एक कविता ही सुन लो
नीलम वर्मा की कविता की तरह
जो प्रश्न पूछती है – कि आसमान नीला क्यों है
पीला क्यों नहीं
जैसे मिलने तुम ही आते हो
वो क्यों नहीं
जब तुम्हें पता चल जाए तो बताना
फ़िलहाल तो मैं ज़िंदा हूँ और मुझे बहुत से काम हैं
इसलिए तुम मुझसे मिलने तब आना जब में मर जाऊँ
अभी तो मैं ज़िंदा हूँ
और आसमान नीला है!
9-
वो जो बीमार है
सिर्फ बीमार नहीं
कुछ कुछ ठीक भी है
वो जो अमीर है
वो कुछ कुछ गरीब भी है
तुम सिर्फ़ तुम नहीं
और भी बहुत कुछ हो
क्या हो
तुम्हें चाहे न पता हो
हमे तो पता है
तुम्हें पता चलेगा तो बुरा लग जाएगा
इसलिए हम चुप ही रहते हैं
और तुम्हें रहने देते है
जो तुम हो!
10-
तुम अचानक याद आ जाते हो
लो अब फिर आ गए
न ही आते तो बेहतर था
चलो अब आ ही गए हो तो तुमसे ही बतियाँ लें
कहाँ रहते हो आजकल
क्या करते हो
कैसे दिन बीतता है
कैसे रात कटती है
हमारी याद आती है क्या
या तुम भी हमारी तरह
हम जैसों को भूल चुके हो
वैसे तुम्हें याद करने का कोई लाभ नहीं
ऐसे मे तुम मुझे याद न आओ
और मैं तुम्हें याद ना आऊँ
तो भी जीवन कुछ बुरा नहीं है
पर मैं क्या करूं
तुम याद या जाते हो
व्हाट्स एप पर आए मैसेज की तरह
जिसे कोई रोक नहीं सकता
डिलीट करो तो भी
कोई फॉरवर्ड कर देता है
लो फिर आ गया …
*****
– निखिल कौशिक