महाराष्ट्र राज्य स्थापना दिवस

~ विजय नगरकर, अहिल्यानगर, महाराष्ट्र

मराठी राजभाषा दिन और मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक भूमिका

1 मई 1960 को जब महाराष्ट्र राज्य की स्थापना भाषावार प्रांत रचना के आधार पर हुई, उसी दिन से मराठी राजभाषा दिन के रूप में मनाया जाने लगा। परंतु एक विशेष तथ्य जो व्यापक रूप से अज्ञात है, वह यह है कि महाराष्ट्र से भी पहले, मध्य प्रदेश ही वह एकमात्र राज्य था जिसने मराठी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया था, और यह ऐतिहासिक निर्णय वर्ष 1953 में लिया गया था।

स्वतंत्रता के बाद की भाषा नीति और मध्य प्रदेश की पहल

भारत की स्वतंत्रता के पश्चात संविधान निर्माण की प्रक्रिया के दौरान यह निर्णय लिया गया कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर किया जाएगा। इस पृष्ठभूमि में, मराठी भाषिक जनता को उनके भाषा अधिकारों की प्राप्ति में अनेक संघर्षों का सामना करना पड़ा। फिर भी, मध्य प्रदेश सरकार ने 1953 में, भाषायी न्याय का एक दुर्लभ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, हिंदी के साथ-साथ मराठी को भी राजभाषा का दर्जा प्रदान किया।

मराठी भाषा के संवर्धन हेतु मध्य प्रदेश के प्रयास

मध्य प्रदेश सरकार ने सिर्फ मराठी को राजभाषा घोषित कर ही नहीं छोड़ा, बल्कि इसके विकास और प्रशासनिक प्रयोग के लिए कई ठोस कदम भी उठाए, जैसे:

स्वतंत्र मराठी भाषा विभाग की स्थापना: इस विभाग ने मराठी भाषा के नियोजन, प्रशिक्षण, और प्रशासनिक कार्यान्वयन की जिम्मेदारी संभाली।

भाषा विशेषज्ञ समिति का गठन: हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं के विशेषज्ञों की एक संयुक्त समिति बनाई गई, जिसने दो भाषाओं में समरसता स्थापित करने हेतु मानक शब्दावली और अनुवाद तैयार किए।

प्रशासन शब्दकोश का निर्माण: राज्य प्रशासन में प्रयुक्त होने वाली शब्दावली को मराठी में व्यवस्थित कर “प्रशासन शब्दकोश” तैयार किया गया।

“प्रशासन शब्दावली” पुस्तिकाओं का प्रकाशन: प्रशासनिक संवाद में प्रयुक्त वाक्यांशों और नमूनों को संग्रहित कर चार पुस्तिकाएँ प्रकाशित की गईं।

कार्यालयीन कार्यों के लिए मार्गदर्शिका: टिप्पणियाँ, आदेश, तथा मसौदों को मराठी में कैसे लिखा जाए इसकी एक व्यवस्थित गाइड भी प्रकाशित की गई।

श्रीसयाजीशासनशब्दकल्पतरू: बहुभाषी शब्दकोश की परंपरा

इस ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है बड़ौदा रियासत में तैयार किया गया “श्रीसयाजीशासनशब्दकल्पतरू”, जो अंग्रेजी प्रशासनिक शब्दों के संस्कृत, हिंदी, मराठी और गुजराती भाषाओं में पर्याय प्रदान करता था। यह शब्दकोश बहुभाषी प्रशासनिक संप्रेषण की एक सशक्त नींव माना जा सकता है।

महाराष्ट्र में मराठी भाषा के संवर्धन की प्रेरणा

मध्य प्रदेश द्वारा मराठी भाषा को राजभाषा के रूप में मान्यता देना न केवल भाषा-न्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने महाराष्ट्र में भविष्य में मराठी भाषा के संवर्धन की दिशा में भी एक प्रेरणादायक भूमिका निभाई। जब 1960 में महाराष्ट्र राज्य अस्तित्व में आया, तब वहां मराठी को राजभाषा के रूप में स्थापित करना सहज और सशक्त कदम सिद्ध हुआ।

भाषा सदाशयता की अनुपम मिसाल

मध्य प्रदेश द्वारा मराठी को सम्मानजनक स्थान प्रदान करना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भाषाई सहिष्णुता और समरसता की अनुपम मिसाल है। ऐसे समय में जब भाषाई मुद्दे टकराव का कारण बन सकते थे, मध्य प्रदेश ने सह-अस्तित्व का उदाहरण प्रस्तुत किया।

 मराठी भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महाराष्ट्र की भूमिका निर्विवाद है, परंतु इस दिशा में सबसे पहला ऐतिहासिक कदम मध्य प्रदेश ने उठाया था। यह तथ्य मराठी भाषिक गर्व का विषय है और भाषाई एकता के सिद्धांत को भी सशक्त करता है।

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